विद्यार्थियों के ना पढ़ने की विभिन्न मजबूरियां - डॉ एमपी सिंह
अखिल भारतीय मानव कल्याण ट्रस्ट के राष्ट्रीय अध्यक्ष व देश के सुप्रसिद्ध शिक्षाविद समाजशास्त्री दार्शनिक प्रोफेसर एमपी सिंह ने गहन चिंतन के बाद उन कारणों का उजागर किया है जिनकी वजह से विद्यार्थी स्कूल नहीं जा पाते हैं
डॉ एमपी सिंह का कहना है कि कुछ माता पिता और अभिभावक भट्टा पर काम करते हैं उनके बच्चे भी उन्हीं के साथ रहते हैं और आस पास कोई विद्यालय नहीं होता है जिसकी वजह से उनके बच्चे स्कूल नहीं जा पाते
गांव देहात में कुछ माता पिता और अभिभावक पैसे के अभाव में दूसरों की फसलों की निराई गुड़ाई करते हैं घर पर रहने वाला कोई नहीं होता है इसलिए वह अपने बुजुर्ग माता-पिता की देखरेख करने के लिए बच्चों को उनके पास छोड़ देते हैं जिसकी वजह से उनके बच्चे स्कूल नहीं जा पाते हैं
कुछ माता-पिता भैंस पालन बकरी पालन आदि का कार्य करते हैं इसलिए भैंस और बकरी चराने के लिए जंगल में उन बच्चों को भेज देते हैं क्योंकि उनके पास कमाने वाला कोई अन्य नहीं होता है उन बच्चों के माध्यम से ही वह अपना भरण-पोषण करते हैं इसलिए वह बच्चे भी स्कूल नहीं जा पाते हैं
कुछ माता पिता और अभिभावक सांप बंदर बंदरिया रीछ आदि का खेल दिखाते हैं तथा कुछ बांस पर अपने छोटे नन्हे बच्चों बच्चों को नृत्य करने के लिए खड़ा कर देते हैं कुछ रस्सी के माध्यम से विभिन्न कलाओं का प्रदर्शन करके रोजी रोटी कमाते हैं जिससे वह अपना भरण-पोषण करते है इसलिए उनके लिए पढ़ाई लिखाई का भी कोई महत्व नहीं होता है
डॉ एमपी सिंह का कहना है कि एनसीआर को छोड़कर भारतवर्ष में ग्रामीण क्षेत्र में अभी बहुत गरीबी है जहां पर लोगों के रहने के लिए छत तो बहुत दूर की बात छप्पड़ भी नहीं है और खेती क्यारी तो कुछ चंद लोगों के पास में ही है अन्य लोग तो उनके खेतों में काम करके या अन्य रोजगार करके ही अपना पेट पाल रहे हैं जिससे घर का भरण पोषण नहीं हो पाता है इसलिए छोटे बच्चों को भी अपने साथ काम में लगा लेते हैं और जो कमाते हैं वह हरी बीमारी दुख दर्द पर खत्म हो जाता है विवाह शादी के लिए अमीर लोगों से कर्ज उधार लेना पड़ जाता है जिसकी वजह से वह कर्ज में दब जाते हैं और पढ़ाई लिखाई के बारे में सोच नहीं सकते
डॉ एमपी सिंह का कहना है कि कुछ बच्चे अपने माता-पिता के साथ घास खोदने जाते हैं तो कुछ वन बीनने जाते हैं कुछ सड़क पर मिट्टी डालते हैं तो कुछ निराई गुड़ाई करते हैं कुछ बर्फ बेचने का कार्य करते हैं तो कुछ जूते चप्पल की दुकान पर कार्य करते हैं कुछ ढाबा पर कार्य करते हैं तो कुछ बड़े लोगों के घरों में काम करते हैं कुछ कबाड़ बीनने का कार्य करते हैं तो कुछ चोरी करने और जेब काटने का
डॉ एमपी सिंह का कहना है कि उक्त कार्य वह अपने शौक मौज के लिए नहीं करते बल्कि उनकी मजबूरियां करा रही होती है
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