परिवारवाद सभी राजनीतिक पार्टियों और दलों में समाहित है - डॉ एमपी सिंह

अखिल भारतीय मानव कल्याण ट्रस्ट के राष्ट्रीय अध्यक्ष व देश के सुप्रसिद्ध शिक्षाविद समाजशास्त्री दार्शनिक प्रोफेसर एमपी सिंह का कहना है कि परिवारबाद सभी राजनीतिक पार्टियों और दलों में समाहित है क्योंकि एक डॉक्टर अपने बेटे को डॉक्टर बनाना चाहता है एक अध्यापक अपने बेटे को अध्यापक बनाना चाहता है सुनार कुम्हार लोहार धोबी नाई आदि के घर में पैदा होने वाला बच्चा स्वत ही उस काम को बिना सिखाएं सीख जाता है ठीक इसी प्रकार राजनेता के घर में पैदा होने वाला बच्चा राजनीति की एबीसीडी स्वत ही सीख जाता है 

डॉ एमपी सिंह का कहना है कि राजनेता के घर में पलने वाले बच्चे ऐसो आराम की जिंदगी जीते हैं बड़ी गाड़ियों मैं चलते हैं बड़े महलों में रहते हैं नौकरों से काम लेना वह छोटी सी उम्र में वे सीख जाते हैं क्योंकि हर काम के लिए घर में नौकर काम कर रहे होते हैं कुछ अवैतनिक तथा कुछ सरकारी 

डॉ एमपी सिंह का कहना है कि जरूरतमंद लोग तथा काम कराने वाले लोग राजनेताओं की चापलूसी करते हैं और उनके इर्द-गिर्द घूमते रहते हैं कई बार अपने कार्यों को निकलवाने के लिए राजनेताओं के घर के सदस्यों तथा नौकरों का सहारा लेते हैं जिस वजह से परिवार के सभी सदस्य अहंकारी हो जाते हैं और अहम वहम में जीने लगते हैं

 डॉ एमपी सिंह का कहना है कि कुछ लोग अपना काम निकलवाने के लिए बड़े-बड़े उपहार देते हैं तथा कर्मचारी और अधिकारी उस स्टेशन पर डटे रहने के लिए भारी भरकम रकम अदा करते हैं तथा उनके उल्टे सीधे कामों को भी निकालते हैं कहने का भाव है है कि क्षेत्र में राजनेता के बिना पत्ता भी नहीं हिलता है गुंडे और बदमाश भी राजनेता के इशारे पर ही चलते हैं पुलिस और प्रशासन भी राजनेता की ही मानते हैं इसलिए राजनीति का नशा ही अलग होता है इस नशे में आम आदमी मक्खी और मच्छर दिखाई पड़ता है

 डॉ एमपी सिंह का कहना है कि जो सत्ता सुख भोग लेते हैं वह सत्ता को किसी भी कीमत पर नहीं जाने देना चाहते हैं चाहे उसके लिए भले ही कितना भी गिरना पड़े जो बच्चे छोटी उम्र में राजनीतिक सफर के दौरान अपने माता पिता या भाई और बहन के सम्मान और चौधराहट को देख लेते हैं तो उनके अंदर भी वैसा ही जुनून आ जाता है और पढ़ने लिखने या खेलने कूदने मैं इतना ध्यान नहीं देते हैं और चौधराहट करने लगते हैं तथा घर के सभी सदस्य अपने आप को विधायक सांसद मंत्री मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री से कम नहीं समझते हैं क्योंकि उनके यहां लेक्चरर प्रोफेसर डॉक्टर इंजीनियर वैज्ञानिक खिलाड़ियों साहित्यकारों संगीतकारों कलमकारी कलाकारों  का कोई अधिक महत्व नहीं होता है क्योंकि उक्त सभी के लिए विधायिका और संसद में नियम और कानून यही राजनेता बनाते हैं इसीलिए इनके इशारे पर सभी को चलना होता है जो नहीं चलता है वह टीम से बाहर हो जाता है और बुरे दिन देखने को मिल जाते है

 डॉ एमपी सिंह का कहना है कि सभी राजनेताओं को पता होता है कि बिना राजनीतिक सहारे के सरवाइव करना मुश्किल हो जाता है इसीलिए अधिकतर राजनेता अपने बच्चों को नौकरी नहीं कराते हैं आनंद की जिंदगी जीने के लिए बड़े से बड़े स्कूल और कॉलेजों में तो भेजते हैं लेकिन वहां भी उनसे राजनीति ही कराते हैं क्योंकि राजनेता अपने से बेहतर जिंदगी अपनी औलाद को देना चाहता है  और उनका नेतृत्व भी स्वयं करते हैं तथा संरक्षण भी देते हैं इसी वजह से अपनी विरासत को संभालने के लिए नीव डालते है इसीलिए किसी ना किसी माध्यम से वह अपने बच्चों को राजनीति में लाते है यह देश के सभी राजनीतिक घरानों में देखने को मिल जाएगा इस प्रकार के उदाहरण किसी से छुपे नहीं है मैं यहां पर किसी पार्टी और दल के नेता का नाम नहीं लेना चाहता हूं लेकिन राजनीतिक लोगों के बच्चे या तो बड़े बिल्डर बनते हैं या उद्योग धंधे स्थापित करते हैं या विदेशों में जाकर अपना कारोबार सेट करते हैं लेकिन किसी के यहां नौकरी नहीं करते 

डॉ एमपी सिंह का कहना है कि अधिकतर राजनेता अधिकतर राजनीतिक पदों को अपने घर के सदस्यों में ही बांट देते हैं तथा बचे कुचे पदों को उन लोगों को देते हैं जो उनकी जी हजूरी करते हैं या उनकी दाब में रहते हैं लेकिन काबिल व्यक्ति को नहीं आने देते 

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