बाबा साहब ने सभी षड्यंत्रकारियो को सबक सिखाकर भारत को संविधान दिया - डॉ एमपी सिंह

अखिल भारतीय मानव कल्याण ट्रस्ट के राष्ट्रीय अध्यक्ष व देश के सुप्रसिद्ध शिक्षाविद समाजशास्त्री दार्शनिक प्रोफ़ेसर एमपी सिंह ने कहा कि बाबा साहब भीमराव अंबेडकर का जन्म दलित परिवार में महार जाति में हुआ था यह 14 बहन भाई थे जिसमें यह सबसे छोटे थे इनके पिता सूबेदार रामजी सकपाल थे जिसकी वजह से इनको पढ़ाई का मौका मिल गया यह पढ़ाई में बहुत ही तेज थे 

डॉ एमपी सिंह ने बताया कि विषम परिस्थितियां होने के बाद भी उन्होंने कभी हार नहीं मानी और बुद्धि और विवेक से काम लेकर सभी को परास्त करके आगे निकल गए इनके साथ प्राथमिक पाठशाला से ही भेदभाव बढ़ता गया जैसे कि सभी विद्यार्थियों से अलग बैठा देना पानी पिलाने के लिए सहायक को कहना और जिस दिन सहायक नहीं होता था उस दिन बिना पानी के प्यासे ही रहते थे 

डॉ एमपी सिंह ने बताया कि इनको पढ़ाने के लिए बड़ौदा के नरेश ने इस शर्त पर वजीफा दिया कि पढ़ाई के बाद सिविल सर्वेंट बनकर हमारे राज्य की सेवा करनी होगी  इन्होंने कोलंबिया विश्वविद्यालय यूके से लंदन ग्रुप ऑफ़ इकोनॉमिक्स से पढ़ाई पूरी की स्वाधीनता संग्राम के समय भारत के सबसे ज्यादा पढ़े लिखे व्यक्ति थे इन्होंने 2 पीएचडी इकोनॉमिक्स में कोलंबिया और लंदन स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स से की थी एक पीएचडी कानून में और एक पीएचडी उस्मानिया यूनिवर्सिटी से की थी 

डॉ एमपी सिंह ने बताया कि पढ़ाई के दौरान भी इन्होंने अनेकों पुनीत कार्य किए असहाय निर्बल लोगों की मदद की बहन बेटियों का सम्मान कराया जातिवाद ऊंच-नीच भेदभाव के बंधन को तुड़वाया  जिसके लिए कई बार इन्हें आंदोलन भी करने पड़ते और कई बार उच्चाधिकारियों को पत्र भी लिखने पड़े तथा महामहिम राज्यपाल से भी मुलाकात करके समाज के बड़े लोगों को लोहा मनवाया

 डॉ एमपी सिंह ने बताया कि एक बार इनको नदी पार करके भाषण देने के लिए जाना था जिसमें नदी पार करने के लिए तांगा लेना होता था लेकिन किसी तांगे वाले ने इनको नहीं बैठाया एक तांगे वाले ने षड्यंत्र के तहत इनको बिठा लिया  बीच नदी मैं जाकर उस तांगे का पहिया निकल गया और जैसे तैसे इनकी जान बची

 डॉ एमपी सिंह ने बताया कि एक बार उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए जब यह बाहर गए थे तब किराए के लिए कमरा ढूंढ रहे थे लेकिन किसी ने भी कमरा किराए पर नहीं दिया एक व्यक्ति ने किराए पर कमरा दे दिया तभी अनेकों लोग लाठी लेकर घर के बाहर इन को मारने के लिए इकट्ठे हो गए तब मकान मालिक ने कहा कि यह दलित बच्चा जबरजस्ती हमारे मकान में घुस आया है और जबरन रहने की कोशिश कर रहा है लेकिन उस समय भी अपने मित्र का सहारा लेकर अपनी जान बचाकर निकल गए

 डॉ एमपी सिंह ने बताया कि उक्त उदाहरणों के द्वारा पता चलता है कि बाबा भीमराव अंबेडकर के ऊपर कितनी परेशानियां आई थी आज भी इस प्रकार की परेशानियां देखने को मिल रही है आज भी दलित बच्चे जब दिल्ली मुखर्जी नगर जाकर अध्ययन करना चाहते हैं तो आज भी उनको किराए पर मकान नहीं मिलते हैं आज भी जातिवाद और छुआछूत का बोलबाला समाज में नजर आ रहा है जिसके लिए अभी हम सभी को एकजुट होकर लड़ाई लड़नी होगी

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