भारी बरसात अधिकतर लोगों के लिए दुख का कारण है - डॉ एमपी सिंह

सिविल डिफेंस के चीफ वार्डन व विषय विशेषज्ञ आपदा प्रबंधन डॉ एमपी सिंह का कहना है कि पिछले 2 दिनों से पश्चिमी भारत में भारी बरसात हो रही है जिसकी वजह कुछ स्थानों पर बाढ़ आ चुकी है और कुछ स्थानों पर बाढ़ की स्थिति बनी हुई है शहरों में भी जलभराव की वजह से यातायात बाधित हो रहा है अधिकतर लोग अपने ऑफिस नहीं पहुंच पा रहे हैं अधिकतर विद्यार्थी भी कॉलेज तथा विश्वविद्यालय नहीं जा पा रहे हैं नर्सरी एलकेजी यूकेजी व प्राइमरी के विद्यार्थियों के लिए स्कूल जाना तो बिल्कुल ही संभव नहीं  है बिगड़ते हुए मौसम और भारी बरसात को देखते हुए शिक्षण संस्थानों को छुट्टी कर देनी चाहिए 

इस बरसात को देखकर डॉ एमपी सिंह को अपना बचपन का जीवन याद आ रहा है और उसके आधार पर इस आर्टिकल के माध्यम से लोगों को जागरूक किया जा रहा है 

डॉ एमपी सिंह का कहना है कि जो लोग घास फूस की झोपड़ी डालकर अपना जीवन यापन करते हैं वह बरसात के समय पूरे दिन रात एक कोने में बैठ कर गुजारते हैं उनके घर पर चूल्हा भी नहीं जलता है क्योंकि ऊपले और लकड़ी सब गीली हो जाते हैं स्टोप में डालने के लिए तेल भी नहीं होता है गैस सिलेंडर और गैस चूल्हे का तो मतलब ही नहीं है चारपाई पर रखे सारे कपड़े भीग जाते हैं घर के कनस्तर में आटा दाल चावल भी नहीं होता है बरसात में काम मिलता नहीं है यह लोग रोज कमाने वाले और रोज खाने वाले होते हैं जिनके बैंक बैलेंस भी नहीं होते दिन रात झोपड़ी में भरे पानी को कटोरी और गिलास से निकालने में व्यस्त रहते हैं भूख प्यास भी भूल जाते हैं

 डॉ एमपी सिंह का कहना है कि जिन लोगों के  कच्चे मकान होते हैं वह इस प्रकार की बरसात से धराशाई हो जाते हैं जिस पर कुछ लोग चुस्कियां लेते हैं और उनकी गरीबी का मजाक उड़ाते हैं

 डॉ एमपी सिंह का कहना है कि लंबी बरसात और भारी बरसात गरीबों के लिए दुखदाई है अमीरों के पास महीने 2 महीने की सामग्री घर में उपलब्ध होती है इसलिए बाहर निकलना उनके लिए जरूरी नहीं है 

डॉ एमपी सिंह का कहना है कि संवेदनशील लोग किसी के दुख में दुखी होते हैं और सुख में सुखी होते हैं लेकिन जो संवेदनशील नहीं होते हैं किसी के मरने गिरने पर उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता है

 डॉ एमपी सिंह का कहना है कि टी सुनामी ने राजा और रंक सब को बर्बाद कर दिया था सबके घर मकान दुकान कारखाने को मिट्टी की तरह बहा कर ले गई थी और कुछ भी नहीं छोड़ा था ठीक है इसी प्रकार बाढ़ के परिणाम भयंकर होते हैं यह किसान की फसल को भी नष्ट कर देती है पशुओं को भी बहाकर ले जाती हैं जो भी पानी की चपेट में आ जाता है उसको बहाकर ले जाती है इसलिए पहले से ही सचेत रहना चाहिए और बचाव पक्ष में कार्य करना चाहिए हमें एक दूसरे के मददगार व सहायक बनना चाहिए

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