राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति ,लोकसभा, राज्यसभा, विधानसभा, विधान परिषद, प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री के चुनाव कौन कराता है जाने
अखिल भारतीय मानव कल्याण ट्रस्ट के राष्ट्रीय अध्यक्ष व देश के सुप्रसिद्ध शिक्षाविद, समाजशास्त्री ,दार्शनिक, प्रोफ़ेसर एमपी सिंह ने इस आर्टिकल में चुनाव प्रक्रिया का वर्णन करते हुए आम नागरिक को जागरूक किया है क्योंकि अधिकतर लोग अभी इन चुनावों के बारे में जानते नहीं हैं या भ्रमित हैं
डॉ एमपी सिंह ने बताया कि आर्टिकल 324 में निर्वाचन प्रक्रिया का जिक्र किया गया है जिसके लिए निर्वाचन आयोग /चुनाव आयोग / इलेक्शन कमीशन होता है इसका मुख्य काम चुनाव करवाना होता है
डॉ एमपी सिंह ने बताया कि केंद्रीय चुनाव आयोग के द्वारा राष्ट्रपति /उपराष्ट्रपति/ लोकसभा/ राज्यसभा/ विधानसभा/ विधान परिषद के चुनाव कराए जाते हैं और प्रधानमंत्री तथा मुख्यमंत्री का चुनाव नहीं होता है यह नियुक्ति होती है
डॉ एमपी सिंह ने बताया कि नगर पालिका/ नगर परिषद/ पंचायत आदि के चुनाव राज्य निर्वाचन आयोग या स्थानीय शासन के द्वारा कराए जाते हैं
डॉ एमपी सिंह ने बताया कि चुनाव आयोग में मुख्य चुनाव आयुक्त एक होता है और दो चुनाव आयुक्त होते हैं जिसमें सभी की पावर, योग्यता, कार्यकाल और नियुक्ति एक जैसी ही होती है सभी का कार्यकाल 6 साल या 65 वर्ष की आयु होती है इनको हटाने के लिए महाअभियोग लाना पड़ता है इनकी पावर सुप्रीम कोर्ट के जज के समान होती है तथा नियुक्ति पीएम की सलाह पर राष्ट्रपति के द्वारा की जाती है और इनका वेतन संचित निधि से निकाला जाता है
डॉ एमपी सिंह ने बताया कि चुनाव आयुक्त चुनाव कराने के लिए जिले में डीसी या डीएम को नियुक्त करते हैं और वही जिले में चुनाव कराते हैं यह किसी को भी डेप्यूट कर सकते हैं और किसी को भी सस्पेंड या ट्रांसफर कर सकते हैं किसी को किसी भी समय आदेश कर सकते हैं आचार संहिता के बाद सभी पावर चुनाव आयोग के पास होती हैं किसी एमपी/ एमएलए/ मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री के पास कोई शक्ति नहीं होती है इसीलिए निष्पक्ष चुनाव कराना आसान हो जाता है कोरोना काल में लॉकडाउन भी आचार संहिता का दूसरा रूप था
डॉ एमपी सिंह ने बताया कि जिले के डीसी व डीएम जनप्रतिनिधियों का पहले पर्चा भरबातें हैं फिर जांच पड़ताल करते हैं फिर चुनाव चिन्ह एलॉट करते हैं चुनाव चिन्ह किसी का भी एक जैसा नहीं होता है इस पर किसी का विरोधाभास भी नहीं सहन किया जाता है यदि कोई नेता गलत बयान बाजी करता हैऔर निर्वाचन आयोग के द्वारा बनाए गए नियमों की अवहेलना करता है तो भी पर्चा रद्द कर दिया जाता है
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