प्रकृति क्या है इसको समझो ,जानो और मानो - डॉ एमपी सिंह
अखिल भारतीय मानव कल्याण ट्रस्ट के राष्ट्रीय अध्यक्ष व देश के सुप्रसिद्ध शिक्षाविद समाजशास्त्री दार्शनिक प्रोफ़ेसर एमपी सिंह का कहना है कि प्रकृति से हम सभी को सीख लेनी चाहिए कुछ इंसान जाने अनजाने में गलती कर जाते हैं और पेड़ों की अंधाधुंध कटाई कर देते हैं जिसके बारे में बाद में उन्हें पछताना पड़ता है
डॉ एमपी सिंह का कहना है कि पृथ्वी के आंचल में पलने वाले पेड़ पौधे भिन्न भिन्न प्रकार के होते हैं कोई छोटा होता है तो कोई वटवृक्ष की तरह फलता फूलता है किसी के पत्ते छोटे होते हैं किसी के पत्ते चोड़े होते हैं किसी पर फूल खुशबूदार होता है तो किसी का फूल बदबूदार होता है किसी पर मीठा फल लगता है तो किसी पर खट्टा फल लगता है किसी का फल औषधि के काम आता है तो किसी का फल जहर कहलाता है किसी की पत्तियों से दवाई बनाई जाती है तो किसी से घर की सजावट की जाती है कई पत्तियां शुभ मानी जाती है इसलिए दरवाजे पर लगाई जाती है हवन में काम लाई जाती हैं किसी की लकड़ी बहुमूल्य होती है तो किसी की लकड़ी अमूल्य होती है किसी पेड़ की लकड़ी जलाने के काम आती हैं तो किसी से बहुमंजिला इमारतें बनाई जाती है
डॉ एमपी सिंह का कहना है कि बिना पेड़ पौधों के मानव का जीवन संभव नहीं है क्योंकि जो इंसान लेता है वह ऑक्सीजन भी पेड़ पौधों से ही मिलती है और दूषित वायु से फेफड़े खराब हो जाते हैं जिसके लिए हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट भी नियम लागू करता है की शुद्ध ऑक्सीजन को खराब ना किया जाए जो ऐसा करता है उसके प्रति कानूनी कार्रवाई की जाए लेकिन फिर भी कोई सुनने के लिए तैयार नहीं है
डॉ एमपी सिंह का कहना है कि जो सरकार नियम बनाती है कुछ लोग उनको तोड़ने में आनंदित होते हैं और बड़े होने का ड्रामा करते हैं तथा बड़े मंचों पर भाषण भी देते हैं लेकिन जमीनी हकीकत से परे होते हैं
डॉ एमपी सिंह का कहना है की प्रकृति का कहर जिस ने देख लिया है उसको सब कुछ पता चल गया है लेकिन जिसने अभी नहीं देखा है वह प्रकृति के साथ खिलवाड़ कर रहा है प्रकृति का मजाक उड़ा रहा है जबकि हर इंसान को मरने के बाद इस पंचतत्व में विलीन हो जाना है जिसमें धरती वायु जल अग्नि आकाश मुख्य है इन को ध्यान में रखते हुए हमें अपनी मानव यात्रा प्रशस्त करनी चाहिए और सचेत रहकर कार्य करना चाहिए
डॉ एमपी सिंह ने बड़े चिंतन के साथ इस आर्टिकल को लिखकर पब्लिश किया है क्योंकि बीती रात दिवाली को चारों तरफ धुआंधार पटाखे जलाए गए किसी ने नियमों की पालना नहीं की ना ही किसी ने अपने पास पड़ोस में बीमार लोगों की चिंता की ना ही किसी के मरने गिरने का ध्यान दिया सब कुछ चंद पलों की खुशी के लिए बर्बाद कर दिया जो कि उचित नहीं है हमें मानवीय गुणों को अपनाना चाहिए और एक दूसरे के सुख दुख में साथ देना चाहिए तथा नियमों पर चलकर जीवन जीना चाहिए
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