एकलव्य इंस्टिट्यूट में आईएएस पीसीएस के विद्यार्थियों को पर्यावरण संरक्षण का पढ़ाया पाठ- डॉ एमपी सिंह
अखिल भारतीय मानव कल्याण ट्रस्ट के राष्ट्रीय अध्यक्ष व देश के सुप्रसिद्ध शिक्षाविद समाजशास्त्री दार्शनिक प्रोफ़ेसर एमपी सिंह ने एकलव्य इंस्टिट्ट में आईएएस और पीसीएस के विद्यार्थियों को पर्यावरण संरक्षण के लिए जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया जिसमें प्रदूषण को रोकने के लिए अनेकों महत्वपूर्ण टिप्स दिए हैं
डॉ एमपी सिंह ने आईएएस और पीसीएस के विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि आप सभी प्रशासनिक अधिकारी बनकर समाज की सेवा करने में अपना अहम योगदान निभाएंगे आप से ही सभी को आशा और उम्मीद होगी आप ही कुरीतियों को समाप्त करने में सक्षम होंगे यदि आपने प्रकृति के बारे में थोड़ी सी भी जिम्मेदारी निभाई तो पर्यावरण प्रदूषण से आसानी से निजात मिल जाएगी
डॉ एमपी सिंह ने बताया कि फरीदाबाद, गुड़गांव, दिल्ली, गाजियाबाद प्रदूषण के मामले में अत्यधिक आगे हैं और फरीदाबाद तो विश्व के सबसे प्रदूषित शहरों में से एक है शहर की आबोहवा प्रदूषित हो चुकी है दिन प्रतिदिन भूमि में प्रदूषण बढ़ता जा रहा है पानी पीने योग्य नहीं रहा है हवा में जहर घुल चुका है जिस कारण अनेकों जानलेवा बीमारियां पनप रही हैं
डॉ एमपी सिंह ने बताया कि यदि उक्त सभी बातों से बचना है तो हमें अधिकतम पेड़ पौधे लगाने होंगे और उनकी देखरेख ईमानदारी से करनी होगी जंगलों को काटना बंद करना होगा कच्चे पहाड़ों को तोड़ना बंद करना होगा खुले में घर का कचरा प्लास्टिक गाड़ियों के टायर आदि जलाने पर प्रतिबंध करना होगा इमारत बनाते समय डस्ट व जमुना रेत को ढक कर रखना होगा सड़क पर चलने वाले वाहनों का नियमित रूप से प्रदूषण चेक कराना होगा
डॉ एमपी सिंह का कहना है कि प्रदूषण से बचने के लिए मास्क लगाने चाहिए तथा आंखों की सुरक्षा के लिए चश्मे लगाने चाहिए शरीर को ढक कर रखना चाहिए गंदगी नहीं फैलानी चाहिए आस पड़ोस में साफ सफाई रखनी चाहिए नदी नाले पोखर तालाब आदि में गंध नहीं डालनी चाहिए प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों का चालान होना चाहिए
डॉ एमपी सिंह ने बताया कि यदि आज आपने पर्यावरण संरक्षण के लिए गंभीरता नहीं दिखाई तो आने वाली पीढ़ी आप को माफ नहीं कर पाएगी क्योंकि उनको शुद्ध ऑक्सीजन और पीने योग्य पानी नहीं बिल्कुल मिल मिल पाएगा और उनका जीवन दूभर हो जाएगा यदि आप आने वाली पीढ़ी को कुछ देना चाहते हो तो शुद्ध पानी और शुद्ध ऑक्सीजन का इंतजाम करना होगा और पर्यावरण संरक्षण के सभी नियमों की पालना करनी होगी तथा स्वयं से पहल करनी होगी
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