न्यायालय, न्याय का मंदिर नहीं अन्याय का मंदिर है- डॉ एमपी सिंह

अखिल भारतीय मानव कल्याण ट्रस्ट के राष्ट्रीय अध्यक्ष व देश के सुप्रसिद्ध शिक्षाविद समाजशास्त्री दार्शनिक प्रोफ़ेसर एमपी सिंह का कहना है कि मेरे नए मकान में  दो महीने के अंदर लगातार तीन बार चोरी हो जाने पर पुलिस की कार्यवाही नगण्य रही जबकि मीडिया के साथियों ने खबर को अखबार में प्रकाशित किया 

डॉ एमपी सिंह का कहना है कि मैं सरकारी विभागों के साथ मिलकर पिछले 30 साल से अवैतनिक और निस्वार्थ सेवाएं दे रहा जब मैंने चोरों के खिलाफ कार्यवाही और तलाश करने के लिए तथा एफ आई आर करने के लिए कहा तब मुझे ही कह दिया कि आपने सीसीटीवी कैमरे नहीं लगा रखे हैं आपने कोई चौकीदार नहीं छोड़ा हुआ है इसमें आपकी ही गलती है
सुनकर बहुत बुरा लगा लेकिन पढ़ा पढ़ा-लिखा सामाजिक प्राणी होने के नाते से मैंने पुलिस के साथ तर्क और बहस नहीं की
 मैं अपनी बात को उच्च अधकारियों के संज्ञान में लेकर आया तब तीसरी बार की चोरी की एफ आई आर दर्ज हुई लेकिन 2 महीने तक कोई सामान बरामद नहीं हुआ अंत में जिला न्यायालय फरीदाबाद से गौरव खटाना की कोर्ट से नोटिस आया मैं  समयानुसार वहां पहुंच गया 2 घंटे तक इंतजार करता रहा बाद में कहा गया कि दूसरे पक्ष का वकील नहीं आया है मैं वापस चला आया
 फिर 15 दिन के बाद दूसरा नोटिस आया कि आप पहली डेट पर हाजिर नहीं हुए हैं आप पर ₹5000 जुर्माना लगाया जा रहा है 
मैं आज 15 नवंबर 2022 को सुबह 10:00 बजे न्यायाधीश गौरव खटाना की कोर्ट में हाजिर हो गया 12:00 बजे तक इंतजार किया फिर यही सुनने को मिला कि आज भी दूसरे पक्ष का वकील नहीं आया है

 यह सब सुनकर और देख कर, मन बहुत व्यथित हुआ लेकिन कर भी क्या सकते हैं अपने हाथ में तो कुछ नहीं है  हमारे घर में ही चोरी हुई हम ही कोर्ट के चक्कर लगा रहे हैं और हमें ही जुर्माने के लिए नोटिस भेजा जा रहा है कैसा न्याय है 
मुझे लगता है कि न्यायालय में न्याय नहीं मिलता है अन्याय का सामना करना पड़ता है तथा शोषण का शिकार भी होना पड़ता है इस कार्य में समय और पैसा बर्बाद होता है
 मैं आगे से सभी साथियों से अपील करूंगा कि किसी भी बात के लिए न्यायालय का दरवाजा ना खटखटाया जाए जहां तक कोशिश हो वहां तक स्वयं मिल बैठकर फैसला कर ले या जहां तक संभव हो दुख को सहन कर ले वह ज्यादा बेहतर है 

डॉ एमपी सिंह का कहना है कि न्यायालय का जो चित्र दर्शाया गया है कि आंखों पर पट्टी बंधी हैं और एक पलड़ा भारी है उससे यही लगता है कि पट्टी बधने के बाद  दिखाई नहीं पड़ता कि कौन सा पलड़ा भारी है लेकिन आज वर्तमान में ऐसा लगता है कि आंखों पर जो पट्टी बंधी है वह पारदर्शी है उसमें से सब कुछ दिखाई पड़ता है और सब कुछ न्यायाधीश के हाथ में होता है जो जनप्रतिनिधियों के द्वारा संचालित किया जाता है
 डॉ एमपी सिंह का कहना है कि पहले न्याय प्रणाली पर भरोसा था कुछ न्याय मिल जाया करता था लेकिन आज लोगों का भरोसा उठता हुआ जा रहा है मैंने अनेकों के बार ऐसा देखा है जिसके पक्ष में फैसला होना चाहिए वह पक्ष सजा काटता है और जिस को सजा मिलनी चाहिए वह खुलेआम शहर की गलियों में घूमता हुआ नजर आता है
 उक्त विचार डॉ एमपी सिंह के अपने स्वतंत्र विचार हैं सिर्फ जागरूकता के लिए इस लेख को जनहित और राष्ट्रहित में प्रकाशित किया जा रहा है ताकि लोग भ्रम में ना रहे और अपने घर परिवार या चोरी डकैती तथा मारपीट का मामला सामाजिक तौर पर ही निपटा ले इससे आपको आर्थिक नुकसान भी नहीं होगा और सामाजिक मर्यादा भी बनी रहेगी

Comments

Popular posts from this blog

तथागत बुद्ध के विचार और उनकी शिक्षा हमेशा हमारा मार्गदर्शन करती है - डॉ एमपी सिंह

डॉ एमपी सिंह ने दिए डेंगू मलेरिया वायरल से बचाव हेतु टिप्स

Information Are reyquired For School Disaster Management Plan- Dr MP Singh