शिक्षा के मंदिरों में अधिकतर निराशा ही हाथ लग रही है - डॉ एमपी सिंह
25 दिसंबर 2022 फरीदाबाद , अखिल भारतीय मानव कल्याण ट्रस्ट के राष्ट्रीय अध्यक्ष व देश के सुप्रसिद्ध शिक्षाविद समाजशास्त्री दार्शनिक प्रोफ़ेसर एमपी सिंह ने बड़े चिंतन के साथ इस लेख को जनहित और राष्ट्रहित में प्रकाशित किया है पाठकों और पत्रकारों से अनुरोध है कि इस समस्या से निजात दिलाने में लेखक की मदद करें
डॉ एमपी सिंह का कहना है कि पहले सरकारी विद्यालयों में सरकारी अध्यापकों के द्वारा पढ़ाया जाना बेहतर था किसी प्रकार के कोचिंग संस्थान या ट्यूशन सेंटर नहीं थे लेकिन आजकल सरकारी स्कूल दिन-प्रतिदिन कम होते जा रहे हैं और प्राइवेट स्कूल तथा कोचिंग सैंटरो की संख्या दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है जिसकी वजह से गरीब विद्यार्थी शिक्षा से बाइ काट कर रहे हैं और गुलाम देश की प्रथा के अनुसार गुलामी भुगतने के लिए मजबूर हो रहे हैं
डॉ एमपी सिंह का कहना है कि झुग्गी झोपड़ी स्लम बस्ती मैं जीवन यापन करने वाले माता पिता रोज लाते हैं और रोज खाते हैं उनके पास दो ₹4000 की गुंजाइश भी नहीं होती है इसलिए वह अपने बच्चों को भरपेट भोजन देने में तथा कॉपी किताब दिलवाने में असमर्थ होते हैं ऐसे कुछ अभिभावक अपने बच्चों को सरकारी स्कूल में मिड डे मील खाने के लिए और लाने के लिए भेज देते हैं उन्हीं बच्चों के नाम रजिस्ट्रो में आगे तक चलते रहते हैं और जब बोर्ड की परीक्षा होती हैं तब वह बच्चे फेल हो जाते हैं यदि 10- 20 फीसदी पास भी हो जाते हैं तो प्रतियोगी परीक्षाओं में फेल हो जाते हैं फिर उनके माता-पिता आगे बढ़ाने के लिए किसी से कर्ज लेते हैं या अपना जेवर बेच देते हैं या घर ,खेती ,क्यारी भी बेचकर कोचिंग सेंटरों में दाखिला दिलवा देते हैं क्योंकि वहां पर भी शिक्षा के नाम पर शोषण हो रहा होता है पढ़ाई लिखाई तो बहुत दूर की बात है
वहां पर प्रश्न पत्र की खरीद-फरोख्त हो रही होती है विद्यार्थियों से 10- 20 लाख रुपए लेकर अच्छे अंको से उत्तीर्ण कराने का ठेका ले लेते हैं और वह बच्चे पास होकर अपने आपको गौरवान्वित महसूस करते हैं जबकि उनकी मेहनत नहीं होती है क्योंकि कोचिंग सेंटर चलाने वाले नेता अभिनेता उद्योगपति प्रॉपर्टी डीलर होते हैं उनके रसूख बड़े लोगों के साथ होते हैं इसलिए वह 10- 20 करोड़ रुपए देकर सरकारी पेपर सैटर और सरकारी इवोल्यूट तथा परीक्षा केंद्र को भी खरीद लेते हैं और अपने कोचिंग सेंटर का नाम चमका देते हैं जिससे शिक्षा में गुणवत्ता नहीं आ रही है बल्कि शिक्षा दूषित हो रही है
यदि ऐसा ही चलन चलता रहा तो आगे देश का भविष्य खतरे में पड़ जाएगा और हम सभी के लिए परेशानियां बढ़ जाएंगी इसलिए इससे निजात दिलाने के लिए सरकार को कुछ ऐसी पॉलिसी बनानी होंगी जिससे हर गरीब का बच्चा अपनी पढ़ाई लिखाई कर सकें और ईमानदारी के बलबूते पर अपनी नौकरी प्राप्त कर सके तभी इस भ्रष्टाचार से मुक्ति मिल सकती है जब तक शिक्षा बिकती रहेगी तब तक भ्रष्टाचार से मुक्ति नहीं मिलेगी
डॉ एमपी सिंह का कहना है देश के हर नागरिक को शिक्षा का अधिकार है इसलिए शिक्षा निशुल्क होनी चाहिए और सभी के लिए समान होनी चाहिए ट्यूशन सेंटर और कोचिंग सेंटर पर पूर्णतया प्रतिबंध होना चाहिए सरकारी अध्यापकों की जिम्मेदारी निर्धारित होनी चाहिए गलत तरीकों को हथियाने वाले भेदभाव करने वाले अपनी जिम्मेदारियों से मुंह मोड़ने वाले मोटी तनख्वाह लेने वाले अध्यापकों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई होनी चाहिए
Comments
Post a Comment