एकलव्य इंस्टीट्यूट में गुड गवर्नेंस पर किया गया सेमिनार - डॉ एमपी सिंह

9 जनवरी 2023 अखिल भारतीय मानव कल्याण ट्रस्ट के द्वारा एकलव्य इंस्टिट्यूट में गुड गवर्नेंस पर एक सेमिनार का आयोजन किया गया जिसका विधिवत उद्घाटन रिटायर्ड आईएएस डॉ एस पी शर्मा के द्वारा किया गया जिसमें देश के सुप्रसिद्ध शिक्षाविद समाजशास्त्री दार्शनिक प्रोफ़ेसर एमपी सिंह बतौर मुख्य वक्ता उपस्थित रहे 

उक्त कार्यक्रम में डॉ एसपी शर्मा ने गुड गवर्नेंस की बारीकियों पर फोकस किया और कहा कि अधिकतर लोग उच्च अधिकारियों से मिलने में डरते और शर्माते हैं इसलिए उनके कार्य नहीं हो पाते हैं और वह अपने कार्य कराने के लिए एमपी एमएलए पार्षद पंच सरपंच नंबरदार तथा बड़े रसूख वाले लोगों  के चक्कर काटते रहते हैं ताकि कोई उनकी सिफारिश कर दें और उनका कार्य हो जाए लेकिन कार्य करवाने के लिए उन्हें बड़ी कीमत चुकानी पड़ती है 

इस अवसर पर डॉ एमपी सिंह ने कहा कि गुड गवर्नेंस में ट्रांसपेरेंसी ,अकाउंटेबिलिटी, रिस्पांसिबिलिटी, रूल ऑफ लॉ होना चाहिए लेकिन उक्त सभी किसी भी ऑफिस में देखने को नहीं मिलते हैं किसी भी अधिकारी और कर्मचारी कि कोई जवाबदेही नहीं है कोई अपनी जिम्मेदारी के साथ अपने कार्य को ईमानदारी के साथ नहीं कर रहा है और कानून की निगाह में भी सब बराबर नहीं है इसीलिए आउटकम नहीं आ पा रहा है

 डॉ एमपी सिंह ने अपने संबोधन में कहा कि उक्त कार्य को ठीक करने के लिए 2005 में आरटीआई एक्ट बना था लेकिन आज उसका भी कोई जवाब देकर राजी नहीं है और अपनी जिम्मेदारी को एक दूसरे के ऊपर डालते रहते हैं प्रैक्टिकल तौर पर कुछ भी हासिल नहीं हो पा रहा है 

डॉ एमपी सिंह ने कहा कि जब भी कोई नियम या कानून  लागू होता है तभी विपक्ष धरने प्रदर्शन शुरू कर देता है जिसमें जिला और प्रदेश की पुलिस संलिप्त हो जाती है और जो कार्य पुलिस को करने चाहिए वह नहीं कर पाती है जबकि दूरगामी परिणामों का किसी को पता नहीं होता है 

डॉ एमपी सिंह ने राजा राममोहन राय का उदाहरण देते हुए कहा कि उन्होंने सती प्रथा का विरोध किया था और सती प्रथा बंद कराने के लिए कानून लेकर आए थे उस समय उस नियम का घोर विरोध हुआ था लेकिन आज उस नियम को सभी अच्छा बताते हैं इसी प्रकार देश में अनेकों कानून आते हैं लेकिन अनेकों लोगों को वह हजम नहीं होते हैं और देश विकास की बजाए विनाश की तरफ अग्रसर होने लगता है आगजनी घटनाओं का जन्म हो जाता है जानलेवा हमला शुरू हो जाते हैं सरकारी संपत्ति तथा बस और रेल जला दी जाती हैं

 डॉ एमपी सिंह ने कहां कि गुड गवर्नेंस में आम आदमी की भागीदारी होनी चाहिए और पाठ्यक्रम में राष्ट्रभक्ति की कहानियां सम्मिलित होनी चाहिए तथा विद्यार्थी जीवन में सेवाभ तभी कहीं सुधार आ सकता है उक्त कार्य के लिए मीडिया, विधायिका और न्यायपालिका भी जिम्मेदार है 

डॉ एमपी सिंह ने कहा कि अधिकतर लोग पुलिस को ही सरकार मान लेते हैं क्योंकि पुलिस ही 24 घंटे सड़क पर नजर आती है और पुलिस पर ही दोषारोपण करने लगते हैं यदि किसी क्षेत्र में चोरी डकैती  हो जाती है या किसी क्षेत्र में कोई झुग्गी झोपड़ी  डाल लेता है सरकारी जमीन पर कब्जा कर लेता है गलत तरीके से जमीन बेच देता है  कोई किसी का मर्डर कर देता है तो उस क्षेत्र के थाना अध्यक्ष एसीपी डीसीपी को ही जिम्मेदार ठहरा देते हैं अन्य विभागों के अधिकारियों और कर्मचारियों के बारे में किसी का ध्यान नहीं जाता है 

डॉ एमपी सिंह का कहना है कि जमीन की खरीद-फरोख्त, कब्जा ,राजस्व विभाग के अधिकारियों की बिना मिलीभगत की नहीं हो सकता है निगम के अधिकारियों और कर्मचारियों कि बिना मिलीभगत के कोई भी गलत कार्य नहीं हो सकता है लेकिन उस समय रिश्वत के आधार पर अतिक्रमण करा देते हैं और कुछ समय के बाद उनका स्थानांतरण हो जाता है या कुछ लोग रिटायर में हो जाते हैं अन्य अधिकारी उसे तोड़ने के लिए पुलिस फोर्स लेकर जाते हैं और वहां पर आम जनता से पुलिस को ही निपटना पड़ता है इसमें काफी सुधार की जरूरत है

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