प्रेरणास्पद कहानियां
प्रेरक कहानियों से सभी को प्रेरणा और सीख मिलती है इन कहानियों से व्यावहारिक सीख मिलती है विनम्रता आती है वचनबद्धता और निपुणता आती है प्रेरणास्पद कहानियों से बड़ों का आदर सम्मान करना बहन बेटियों की इज्जत करना माता पिता और गुरु का सम्मान करना समय पर अपने कार्य को करना सच बोलना जीवो पर दया करना अहिंसा वादी हो ना बुरी संगति से बचना लक्ष्य की प्राप्ति करना बुद्धि और विवेक से काम देना आलस्य ना करना चरित्र निर्माण करना अपने कार्य को ईमानदारी से करना भ्रमित ना होना भ्रम जाल में ना फंसना झूठ बोलकर अपना प्रभाव ना दिखाना किसी के साथ ठगी ना करना षड्यंत्र के तहत किसी को नुकसान ना पहुंचाना वफादार बनना नैतिक मूल्य पर कार्य करना आदि की सीख मिलती है लेकिन कुछ कहानियां अध्यापकों के द्वारा कक्षा में पढ़ाई जाते हैं और कुछ कहानियां दादा दादी की गोदी में सीखी जाती है कुछ प्रेरक कहानी सफल लोगों के मुखारविंद से सुनी जाती हैं तो कुछ ग्राम बस्ती के बड़े बूढ़े सम्मानित लोगों के मुखारविंद से सुनी जाती हैं कहानियों के माध्यम से अधिकतर समस्याओं का समाधान हो जाता है और तर्क करने की शक्ति भी आ जाती है अपने पूर्वजों के बारे में भी पता चल जाता है तथा वीर वीरांगनाओं की कहानियों से अपने पूर्व का इतिहास पता चल जाता है और युवाओं को आगे बढ़ने का रास्ता मिल जाता है इसलिए अधिक से अधिक प्रेरणास्पद कहानियों को पढ़ना और सुनना चाहिए
महत्वपूर्ण विचार
पंखों से कुछ नहीं होता
हौसलों में उड़ान होती है
मंजिल उन्हीं को मिलती है
जिनके सपनों में जान होती है
अपनी झूठी तारीफ सुनकर कभी खुश नहीं होना चाहिए बल्कि अपनी असलियत सुन ले का जिगर रखना चाहिए
जिंदगी में आगे बढ़ना है तो आत्मनिर्भर बनो
महत्वपूर्ण सीख
आपके पास खाने के लिए अच्छा खाना, पहनने के लिए अच्छे कपड़े, रहने के लिए अच्छा घर, सड़क पर चलने के लिए अच्छा वाहन हो सकता है लेकिन कुछ लोगों के पास सिर छुपाने के लिए झोपड़ी भी नहीं होती है तन ढकने के लिए फटे पुराने कपड़े भी नहीं होते हैं खाने के लिए झूठी पत्तलो का भोजन भी नहीं मिल पाता है कुछ लोग सड़क पर रहकर रात गुजारना चाहते हैं लेकिन उनको भी पुलिस पकड़ कर ले जाती है और किसी केस में बंद करके जेल भिजवा देती है कुछ लोग मजबूरी में भीख मांग कर गुजारा करना चाहते हैं लेकिन उनको भी चोर डकैत समझकर मारा पीटा जाता है कुछ लोग समाज सेवा के नाम पर इन गरीबों का प्रयोग करते हैं और अपने घर भरते हैं ऐसा क्यों होता है ऐसा कौन करता है और ऐसा क्यों करते हैं क्या कभी आपने इसके बारे में गौर किया है यदि नहीं तो आगे समझने की कोशिश करें
कुछ विद्यार्थी जीवन में लगन और मेहनत से पढ़ते हैं अपने माता-पिता और गुरुओं का सम्मान करते हैं और वह विद्यार्थी आईएएस, आईपीएस, आईआरएस, आईएफएस, एचपीएस पीसीएस पत्रकार, प्रोफेसर, डॉक्टर, इंजीनियर, वैज्ञानिक, संगीतकार, खिलाड़ी बन जाते हैं और बढ़िया जीवन यापन करते हैं लेकिन जो पढ़ाई से मुंह मोड़ते हैं बहानेबाजी करते हैं अध्यापकों पर आरोप-प्रत्यारोप लगाते हैं माता पिता की बुराइयों को उजागर करते हैं उनका मन पढ़ने में नहीं लगता है
इसीलिए वह छोटे सब एक ही छोटी नौकरी करके दूसरों की दावेदारी करते हैं लेकिन उनसे भी नीचे का एक तबका होता है जिनके पास स्कूल जाने का पैसा ही नहीं होता है इसलिए वह स्कूल के दर्शन ही नहीं कर पाते हैं किताब कॉपी खरीदना स्कूल की फीस देना तो उनके लिए संभव ही नहीं है इसलिए वह पढ़े लिखे लोगों के लिए कार्य करते हैं जैसे घर मकान दुकान में झाड़ू पोछा करना जूते पॉलिश करना होटल पर चाय बनाना फल सब्जी की रेडी लगाना मकानों की पुताई करना बिल्डरों के यहां पर मकान दुकान बनाना सड़क की मरम्मत करना सड़क पर मिट्टी डालना ट्रक में मिट्टी भरना विवाह शादियों में ट्यूबलाइट उठाना बाजा बजाना थ्री व्हीलर ऑटो रिक्शा चलाना आदि अनेकों कार्य ऐसे हैं जिनको अनपढ़ करते हैं
अनेकों जगह पर तो 18 साल से कम उम्र के बच्चे भी खतरनाक कार्य करते देखे गए हैं क्योंकि उनके बचपन में ही माता-पिता मर जाते हैं या जन्म देते ही मां-बप उनको किसी को दे देते हैं
उक्त सभी बातों से ही समाज और संसार चलता है जो जैसी मेहनत कर लेता है उसको वैसा ही फल मिल जाता है जो छोटी उम्र में बहाना लगाते हैं उनकी बड़ी उम्र बहाने बन जाती है
इसलिए हर विद्यार्थी को परिश्रम करना चाहिए कठिन परिश्रम सफलता की तरफ लेकर जाता है चाहे क्षेत्र भले ही कोई भी हो
जो बच्चे विद्यार्थी जीवन में सोशल मीडिया पर बने रहते हैं उनकी जिंदगी बर्बाद हो जाती है लेकिन जो सोशल मीडिया से परे रहते हैं और जरूरत के अनुसार इंटरनेट का प्रयोग कर लेते हैं वह अपना नाम सफल लोगों की सूची में लिखवाने में समर्थ हो जाते हैं जो विद्यार्थी जीवन में लगातार संघर्ष करते रहते हैं और असफलता लगने पर भी हिम्मत नहीं हारते हैं अपनी असफलता के कारण को पहचान लेते हैं और उसे दूर करके सफलता हासिल कर लेते हैं
गुरु का महत्व
पहली गुरु माताजी हुआ करती हूं वह उसे उठना- बैठना, खाना- पीना ,रहना -सहना, नहाना -धोना, खेलना -कूदना, चलना -फिरना, बोलना आदि सिखाती है विद्यार्थी पहले दिन प्राथमिक स्कूल में पढ़ने जाता है तब गुरुजी उसे कलम पकड़ना सिखाते हैं उसका हाथ पकड़ कर लिख वाते हैं उसे अक्षर व अंक ज्ञान कराते हैं उसके अंदर के डर को निकालते हैं उसे माता-पता की तरह प्यार देते हैं उसका ऑल सराउंडिंग डेवलपमेंट करते हैं उसकी हर गतिविधि पर नजर रखते हैं उसकी गलतियों के सुधार के लिए बेहतर तरीका अपनाते हैं उसे बेहतर संभाषण सिखाते हैं उसे घरेलू कामकाज में पारंगत बनाते हैं उसकी रूचि को देखकर उसी क्षेत्र में उसकी हौसला अफजाई करते हैं उसकी काउंसलिंग करते हैं उसे कहानी सुना कर समझाते हैं उसे साफ सफाई का विशेष महत्व बताते हैं प्रकृति का बोध कराते हैं अच्छे बुरे का ज्ञान कराते हैं सही गलत में अंतर सिखाते हैं ऊंच-नीच के अंतर को समझाते हैं भले बुरे के अंतर को समझाते हैं आप कौन हैं कहां से आए हैं आप क्या कर रहे हैं आप क्यों कर रहे हैं आपको क्या करना चाहिए आपको क्या नहीं करना चाहिए उक्त सभी बातों की विस्तार पूर्वक जानकारी देते हैं हर विद्यार्थी को महान बनाने में गुरु का विशेष महत्व होता है गुरु के बिना योगदान के आज तक कोई भी महान नहीं बन पाया है इसलिए गुरुओं का सम्मान सर्वोपरि होना चाहिए क्योंकि वह निस्वार्थ प्यार करते हैं माता पिता और गुरु पूजनीय वंदनीय प्रार्थना होते हैं इनके सम्मान में कभी कमी नहीं आने देनी चाहिए
महान बनने के मूल मंत्र
कोई भी इंसान अपनी आदतों में परिवर्तन करने के बाद महान बन सकता है महान बनने के लिए बुरी आदतों को छोड़ना पड़ता है और अच्छी आदतों को अपनाना पड़ता है
1. आलस्य को त्यागना पड़ता है
2. मूर्ख लोगों से दोस्ती तोड़नी पड़ती हैं
3. सुबह सूर्य निकलने से पहले बिस्तर छोड़ना पड़ता है
4. ज्ञान प्राप्ति के लिए हमेशा उत्सुक रहना पड़ता है
5. हमेशा विद्यार्थी बनकर ही रहना पड़ता है
6. अतीत की गलतियों से सीखना पड़ता है
7. सही समय पर सही फैसले लेने पड़ते हैं
8. सफलता के लिए जोखिम उठाने पड़ते हैं
9. सकारात्मक सोच पर कार्य करना पड़ता है
10. गलत संगति को छोड़ना पड़ता है
11. नकारात्मक बातों को दिमाग से निकालना पड़ता है
12. योजनाबद्ध तरीके से कार्य करना पड़ता है
13. महान वही लोग बन पाते हैं जो कम बोलते हैं और ज्यादा सुनते हैं इसको ऐसे भी समझ सकते हैं कि भगवान ने दो कान दिए हैं ताकि ज्यादा सुना जा सके और एक मुंह दिया है ताकि कम बोला जा सके
14. महान बनने के लिए प्रतिदिन हमें अपने आप से बात करनी चाहिए आंख बंद करके आसन लगाकर जमीन पर बैठना चाहिए मैं कौन हूं मैं कहां से आया हूं मैं क्या कर रहा हूं मुझे क्या करना चाहिए इस पर चर्चा करनी चाहिए
15. हर रोज योग व मेडिटेशन करना चाहिए
16. कम खाना चाहिए लेकिन स्वास्थ्यवर्धक भोजन करना चाहिए
17. बुरी बातों में और बुरे कार्यों में समय नहीं लगाना चाहिए
18. जब कोई आप को उलझाने की कोशिश करें तो आपको उलझना नहीं चाहिए
मौन रहने की ताकत
कब बोलना है कितना बोलना है क्या बोलना है अधिकतम लोग इस बारे में नहीं जानते हैं इसीलिए वह अनाप-शनाप बोलते रहते हैं और विषम स्थिति पैदा कर लेते हैं जिसके लिए कई बार बड़ा नुकसान उठाना पड़ जाता है इसलिए चुप रहना चाहिए
चुप रहने से मन को शगुन और शांति मिलती है मौन आपको बुराइयों से बचा सकता है
मौन आपकी इज्जत करा सकता है
मौन आपको सम्मान दिला सकता है
मौन रहने पर उत्तम विचार दिमाग में आते हैं
मौन रहने पर झगड़े नहीं होते
मौन रहने पर हमारी उर्जा बरकरार बनी रहती है और थकावट नहीं होती है
मौन रहने पर लोगों का ध्यान हमारी तरफ आकर्षित होता है
चुप रहने पर अनेकों परेशानियां टल जाती है और हम उलझनो से मुक्त हो जाते हैं
यदि द्रोपती यह नहीं कहती कि अंधे का पुत्र अंधा ही होता है तो महाभारत नहीं होता
जब अध्यापक कक्षा में पढ़ा रहे होते हैं तब कई बच्चे बड़े ध्यान लगाकर सुन रहे होते हैं अध्यापक समझ जाते हैं कि इन विद्यार्थियों की समझ में अच्छे से आ रहा है लेकिन कुछ बच्चे कक्षा में ध्यान नहीं देते हैं आपस में वार्तालाप करते रहते हैं या एक दूसरे को छेड़ते रहते हैं तब उस प्रक्रिया से समझ में आता है कि इन बच्चों को समझ नहीं रहा है यही कारण होता है कि कुछ बच्चे शो फ़ीसदी अंक ले आते हैं और कुछ फेल हो जाते हैं
ना और हां का महत्व
कुछ लोग दूसरों को खुश करने के लिए हां में हां मिलाते रहते हैं और अपना समय बर्बाद करते रहते हैं लेकिन जो लोग समझदार होते हैं वह सही बात के लिए हां कह देते हैं और गलत बात के लिए ना कह देते हैं यदि विद्यार्थी जीवन में कोई दोस्त पिक्चर देखने के लिए कहता है तब दूसरे दोस्त को ना कह देना चाहिए यदि कोई बीड़ी सिगरेट पीने के लिए कह रहा है तब भी ना कह देनी चाहिए यदि कोई शराब पिलाने की कोशिश कर रहा है तब भी ना कह देनी चाहिए क्योंकि बहुत कम विद्यार्थी होते हैं जो पढ़ने लिखने के लिए कहते हैं या अच्छी बातों को आपस में करते हैं
बड़े होने पर भी हम दूसरों को खुश करने के चक्कर में हां हां कहते रहते हैं याद रखना जितना जरूरी हां कहना है उतना ही जरूरी ना कहना है जो काम आपके जीवन में बाधा डालता हो या रुकावट बनता हो उसको ना कह देना चाहिए इस चक्कर में हां कभी नहीं कहना चाहिए कि यह मेरे बारे में क्या सोचेगा या मुझसे बात नहीं करेगा अपने भविष्य को ध्यान रखते हुए फैसला लेना चाहिए
सफलता के कारण
1. विद्यार्थियों को ज्यादा से ज्यादा पढ़ना चाहिए
2. कम से कम बोलना चाहिए
3. ज्यादा से ज्यादा सुनना चाहिए
4. खुली आंखों से सपने देखने चाहिए
5. योजनाबद्ध तरीके से काम करना चाहिए
6. असफलता से डरना चाहिए
7. भीड़ का हिस्सा नहीं बनना चाहिए
8. पूरी तमन्ना से काम करना चाहिए
9. याद किए हुए प्रश्नों का लिखकर अभ्यास करना चाहिए
10. चरित्र में गिरावट नहीं आने देने चाहिए
11. हिम्मत से काम लेना चाहिए
12. सफलता का शॉर्टकट नहीं अपनाना चाहिए
13. खुद को बदलने के लिए कार्य करते रहना चाहिए
14. नकारात्मक लोगों का नकारात्मक सोच से दूर रहना चाहिए
15. महान लोगों का जीवन परिचय पढ़ते रहना चाहिए
16. गलत करने वालों को माफ कर देना चाहिए
17. खाली समय का बेहतर इस्तेमाल करना चाहिए
18. हमेशा सीखने के लिए तैयार रहना चाहिए
19. गुस्सा आने पर अति शीघ्र काबू कर लेना चाहिए
20.समय पर खाना खाना चाहिए
21. समय पर सोना चाहिए
22. समय पर खेलना चाहिए
23. नशीले पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए
24. उन लोगों की कद्र करनी चाहिए जो लोग आपको खुशी देते हैं आप का सम्मान करते हैं
जीवन में अन्य लोगों की भूमिका
विद्यार्थी जीवन में वह लोग विद्यार्थी को सलाह देते हैं जिनको उस का ज्ञान और अनुभव नहीं है वह कहते हैं यह तू नहीं कर पाएगा यह बहुत कठिन है यह इतना आसान नहीं है विद्यार्थी के माता-पिता को समझाने की कोशिश करते हैं डॉक्टर बनने में बहुत पैसा लग जाता है आईएएस बनाने के लिए दिल्ली कोचिंग ज्वाइन करनी पड़ती है जिसमें कई लाख रुपए खर्च हो जाते हैं तुम्हारे घर की हालत अच्छी नहीं है इसलिए इसको छोड़ कर कुछ और कर ले ज्यादा पढ़ कर क्या करेगा आईटीआई कर ले पॉलिटेक्निक कर ले कंप्यूटर का कोर्स कर ले कोई शॉर्ट टर्म कोर्स कर ले सीएनसी प्रोग्राम प्रोग्रामिंग का कोर्स कर ले फायर फाइटर का कोर्स कर ले कहीं ना कहीं छोटी-मोटी नौकरी लग जाएगी नहीं तो फैक्ट्री में नौकरी लग जाएगी जबकि व्यक्तित्व शराब पीकर पड़ा रहता है दिन भर जुआ खेलता है लोगों को आपस में लड़ाने का कार्य करता है घरवाले उसकी इज्जत नहीं करते किसी स्कूल में पढ़ने के लिए नहीं गया है ऐसे लोगों की सलाह को नहीं मानना चाहिए सलाह उन लोगों की माननी चाहिए जिन्होंने उस क्षेत्र में पारंगतता हासिल की होती है जिन्होंने उस क्षेत्र में विशिष्ट सम्मान प्राप्त किया होता है उन्हें पता होता है क्या क्या परेशानियां उस क्षेत्र में आती हैं और कैसे-कैसे उन समस्याओं का समाधान किया जाता है
अधिकतर लोग बिना मांगे अनावश्यक सलाह देते रहते हैं और विद्यार्थियों के मन को भटकाने में लगे रहते हैं तुम इस विषय में कमजोर हो इस विषय को छोड़ दो तुम साइंस साइड मत लो कॉमर्स ले लो तुम कॉमर्स मत लो आर्ट साइड ले लो यह स्कूल अच्छा नहीं है स्कूल बदल लो यह कोचिंग सेंटर अच्छा नहीं है कोचिंग सेंटर बदल लो यह ट्यूटर अच्छा नहीं है इस ट्यूटर को बदल दो यह घर आपके लायक नहीं हैं इस घर को बदल दो
उक्त सभी बातें हैं ठीक नहीं है किसी के कहने पर कोई भी चीज नहीं बदलनी चाहिए यह उनका व्यक्तिगत विचार है पता नहीं उनके मन में क्या है वह क्यों ऐसा कह रहे हैं लेकिन आप जो विषय पढ़ रहे हो आप जिस विद्यालय में पढ़ रहे हो आपको जो अध्यापक पढ़ा रहे हैं उसके बारे में आपको ज्यादा बेहतर नॉलेज है इसलिए आपको अपना मन नहीं बदलना चाहिए बार-बार मन बदलने से सफलता हासिल नहीं होती है
यह लोग तो कहते हैं कि आप सिंगर बन जाओ सिंगर ठीक नहीं है एक्टर बन जाओ एक्टर नहीं आईएस अच्छा होता है आईएएस नहीं आईपीएस अच्छा होता है नहीं यह भी ठीक नहीं है देश चलाने वाले नेता बन जाओ इन लोगों का कोई वजूद नहीं होता इनके मुंह में जो आता है वह बोल देते हैं क्योंकि खुद तो कुछ बने नहीं है और दूसरों को भी बनने नहीं देते हैं
जो बच्चा जिस प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहा है जिस कोचिंग सेंटर से कर रहा है उसका एक लक्ष्य निर्धारित है कि मैंने सिविल सर्विस निकालनी है या मैंने पब्लिक सर्विस कमीशन निकालना है मैंने अपना उद्योग स्थापित करना है या मैंने ट्रेडिंग कर मैंने डॉक्टर बनना है या मैंने बेहतर इंजीनियर करना है मैंने हवाई जहाज उड़ाना है या मैंने रेलगाड़ी बनानी
उक्त सभी का माइंड सेट करके ही अपनी पढ़ाई लिखाई करता है इसलिए अन्य लोगों को ज्यादा तवज्जो नहीं देनी चाहिए यह लोग पहले कमी निकालते हैं फिर इग्नोर करते हैं फिर आपको परेशान करते हैं और जब आप सफल हो जाते हैं फिर यह आपको स्वीकार करते हैं यह आपको असफल करने में साम-दाम-दंड-भेद की नीति अपनाते हैं लेकिन होता कुछ नहीं
यदि आप मजबूत हैं आपकी विल पावर स्ट्रांग है आप दिल और दिमाग से काम लेते हैं आप अपने समय का सदुपयोग करते हैं आप सत प्रतिशत अपने लक्ष्य को प्राप्त करने की कोशिश करते हैं इसलिए यह लोग आपका कुछ भी नहीं बिगड़ता है
सफल लोग असफल लोगों की हार से भी सीखते हैं उनके पास भी 24 घंटे होते हैं उनके शरीर में भी 206 हड्डियां होती हैं उनके शरीर में भी लाल रंग का खून बह रहा होता है वह देखने में भी सब के समान होते हैं लेकिन फिर ऐसा क्या होता है कि वह अन्य लोगों से अलग हो जाते हैं
क्योंकि उनके अंदर जुनून होता है कुछ अलग करने का भाव होता है वह रात को ज्यादा मोबाइल पर नहीं रहते हैं वह सुबह जल्दी उठ जाते हैं वह योजनाबद्ध तरीके से काम करते हैं उनके लिए धन से ज्यादा महत्व समय को देते हैं इसलिए किसी भी कीमत पर वह अपने समय को बर्बाद नहीं करते जो भी कुछ करते हैं वह पूर्ण लगन और निष्ठा के साथ करते हैं किसी के कहने पर भ्रमित नहीं होते हैं
समस्या निदान
जब भी कोई व्यक्ति बीमार पड़ जाता है तब वह डॉक्टर के पास जांच पड़ताल कराने के लिए जाता है कुछ डॉक्टर ब्लड टेस्ट, ईसीजी, अल्ट्रासाउंड, एक्स, एमआरआई आदि कराते हैं और उसके बाद बीमारी के निदान पर पहुंच जाते हैं लेकिन कुछ गली मोहल्ले में बैठे हुए डॉक्टर अपनी बुद्धि और विवेक के आधार पर दवाई दे देते हैं कुछ रोगी होम्योपैथी में विश्वास करते हैं और कुछ लोग आयुर्वेद में
लेकिन सही दवाई के द्वारा तकलीफ का इलाज हो जाता है यदि कोई तपेदिक की बीमारी में कैंसर की दवाई देता है और कैंसर की बीमारी में तपेदिक की दवई देता है तो बीमारी ठीक होने की बजाय और बढ़ जाती हैइसलिए बीमारी का डायग्नोज करना बहुत जरूरी होता है
ठीक इसी प्रकार विद्यार्थी जीवन में अनेकों बच्चे अलग-अलग विषयों में होशियार और कमजोर होते हैं यदि सही समय पर काबिल अध्यापक के द्वारा सही तरीके से विद्यार्थी को समझा दिया जाए तो उस समस्या का समाधान हो जाता है और विद्यार्थी के अंदर से डर निकल जाता है यदि विद्यार्थी किसी दूसरे की कॉपी लेकर अपना काम पूरा करता रहा और ट्यूशन में जाकर झूठी हां हां करता रहा तब उसका भविष्य अंधकार में हो जाता है
गंदे विचारों का समाधान
जब विद्यार्थी घर में अकेला रहता है माता पिता ऑफिस में होते हैं अटेंडेंट अपने सर्वेंट रूम में होते हैं तब नादान बच्चा अश्लील चित्र देखने व असभ्य वीडियो सुनने की कोशिश करता है और उसका मन पढ़ाई में नहीं लगता है ना ही उसका मन काम करने में लगता है यदि ऐसा ही कुछ समय चलता रहा और आपने ध्यान नहीं दिया तो उसे अन्य परिवार के सदस्य कहते सुनते समय दुश्मन दिखाई देने लगेंगे इसलिए कभी भी बच्चे जवान वे बूढ़े को अकेले नहीं छोड़ना चाहिए या उनके हाल पर नहीं छोड़ना चाहिए जो लोग समझदार होते हैं वह अपने मन पर काबू कर लेते हैं और मन को विचलित नहीं होने देते हैं मन को कंट्रोल करने के लिए सद पुरुषों की संगति करते हैं गंदे विचारों पर नियंत्रण करने वाला बच्चा जवान और बूढ़ा सम्मानित जिंदगी जीता है जब भी मन में गंदे विचार आ रहे हो तब कुछ ना कुछ लिखना शुरु कर देना चाहिए ताकि मन वहां से हट जाए या अपने सगे संबंधियों के साथ वार्तालाप करना शुरू कर देना चाहिए या कोई घरेलू कार्य करना शुरू कर देना चाहिए व्यस्त होने पर गंदे विचार अपने आप फुर्र हो जाते हैं अपने आप को व्यस्त रखने के लिए अच्छी पुस्तकों को पढ़ना चाहिए प्रेरक वीडियो सुननी चाहिए पेंटिंग बनानी चाहिए हारमोनियम ढोलक तबला गिटार आदि बजाने का अभ्यास करना चाहिए गणित के सवालों को हल करना चाहिए उलझी पहेलियों को सुलझाना चाहिए अकेले में जब भी कोई अपने विचारों को नियंत्रण करना चाहता है तब यह इतनी आसानी से रुकते नहीं है बल्कि और तीव्रता से चलते हैं जब भी आप किसी से कहते हो कि अपनी माता का नाम नहीं लेना है तब स्वत ही उसके दिमाग में अपनी माता जी का नाम आ जाता है जिसको जो ना करने के लिए कहोगे दिमाग वही करने के लिए तैयार और तत्पर हो जाएगा यह योग और मेडिटेशन से ही ठीक हो सकता है कई बार तो मेडिटेशन में भी वही गंदी तस्वीरें सामने आती हैं और गंदे विचार आने से मेडिटेशन भी नहीं हो पाता है इसके लिए अभ्यास की जरूरत है
मां दोषी क्यों
मां अपने बच्चों को बहुत जल्दी गबरु जवान देखना चाहती है इसलिए वह दूध- दही, मक्खन, बादाम, किसमिस, मौसम के फल, मौसम की सब्जी आदि खिलाना चाहती है लेकिन बच्चे तो सुबह उठते ही चाय के साथ पराठा मांगते हैं मां दूध का गिलास मेवा के लड्डू के साथ देना चाहती है लेकिन बच्चा दूध तो छानकर पीना चाहता है और फास्ट फूड समोसा कचोरी पकोड़े पिज्जा बर्गर चौमिन मोमोज आदि खाना चाहता है इसलिए वह मम्मी की शिकायत पापा से कर देता है और पापा से फास्ट फूड तथा कोल्ड ड्रिंक्स के लिए धनराशि ले लेता है इससे उसका शरीर बिगड़ जाता है
यदि माताजी पालक मेथी सरसों की सब्जी बनाकर लौकी का रायता देना चाहती हैं तब वह लड़ाई झगड़ा कर देता है जिस कारण घर में तनाव की स्थिति पैदा हो जाती है और बच्चों के अनुसार ही मां को ढलना पड़ जाता है अन्यथा स्कूल से शिकायत आने लग जाती है इसमें मां का कोई दोष नहीं है लेकिन पिता के साथ औलाद मिलकर मां को दोषी ठहरा देती है
नियमों का महत्व
नियमों को तोड़ने पर हमेशा नुकसान उठाना पड़ता है इसलिए नियमों की अनदेखी कभी नहीं करनी चाहिए नियमों की पालना मन से करनी चाहिए एक उदाहरण के माध्यम से यातायात के नियमों के बारे में बताया जा रहा है
एक 14 साल का युवा अपनी बाइक पर दो फीमेल मित्रों को लेकर जा रहा था नियमों की अवहेलना को देखते हुए यातायात पुलिस ने रोकने की कोशिश की लेकिन वह चकमा देकर निकलने लगा आगे खड़े पुलिसकर्मी ने रोक लिया तब उसने पुलिसकर्मी के साथ अभद्र व्यवहार किया और अपने पिता का नाम लेकर रौब झाड़ने लगा पुलिसकर्मी ने कहा कि हम तो आपकी सुरक्षा के लिए हेलमेट लगाने के लिए कह रहे हैं अभी आपकी उम्र वाहन चलाने की नहीं हुई है अभी आपके पास लाइसेंस भी नहीं है अभी आपको यातायात के नियमों की जानकारी भी नहीं है फिर भी आप ट्रिपल राइडिंग कर रहे हो और ओवर स्पीड चला रहे हो लेकिन उसने एक भी नहीं सुनी और अनाप-शनाप बोलते हुए आगे निकल गया
कुछ ही दूर जाने के बाद वह एक ट्रक से टकरा गया जिसमें 2 की मौत हो गई और एक घायल हो गया उन पुलिसकर्मियों ने मौके पर जाकर प्राथमिक सहायता दी और नजदीकी अस्पताल को पहुंचाया तथा उसके सगे संबंधियों को फोन पर सूचना दे दी तब उसे अपनी गलती का एहसास हुआ अब एहसास करने का कोई फायदा नहीं था क्योंकि दो की जान जा चुकी थी उक्त कहानी का तात्पर्य है कि समय रहते यदि हम नियमों की मन से पालना करते हैं तो दुर्घटना से बचाव हो सकता है अंडरएज में हमें बाहन नहीं चलाना चाहिए सड़क पर पैदल चलते हुए भी यातायात के नियमों की पालना करनी चाहिए यदि माता-पिता भाई-बहन कोई नियमों को तोड़ता है तो उनको भी जागरूक करना चाहिए अपनी सुरक्षा में ही सभी की सुरक्षा है सभी नियम हमें सुरक्षा प्रदान करते हैं
हुक्का
पहले समय में भारत पर विभिन्न सल्तनतो का राज रहा है इसलिए भारतवासी अपनी पीड़ा को दूर करने के लिए तथा अपने सुख दुख को बांटने के लिए इकट्ठे होकर चार आदमी कहीं मन की बात हुक्का पर बैठकर कर लिया करते होंगे हल्का फुल्का तंबाकू रहता होगा
हमने भीअपने बचपन काल में बड़े बूढ़ों के हुक्का भरे हैं तंबाकू खेतों पर उगाया जाता था उसे कूटकर उसमें लाट मिलाई जाती थी फिर दो चुटकी तंबाकू चिलम में रखकर ढक्कन रखा जाता था फिर उसके ऊपर आग रखी जाती थी हुक्का का पानी सुबह शाम बदला जाता था जिसकी वजह से वह नुकसान नहीं करता था लेकिन आजकल हुक्का के माध्यम से अनेकों नशीले पदार्थ इन्हेल किए जा रहे हैं जिसकी वजह से लोग नशे में पड़े रहते हैं और अपनी जवानी को बर्बाद कर रहे हैं
लेकिन आजकल सरकार बीड़ी सिगरेट तंबाकू पीने पर अंकुश लगा रही है शासन और प्रशासन लोगों को जागरूक करने के लिए जागरूकता कार्यक्रम चला रही है ताकि भयंकर बीमारियों से बचा जा सके और आर्थिक नुकसान ना हो क्योंकि बीड़ी सिगरेट तंबाकू पीने से मुंह और फेफड़ों का कैंसरअत्यधिक हो रहा है अत्यधिक लोग मार रहे हैं इसलिए शहरों में हुक्का का चलन खत्म हो चुका है तथा हुक्का बार पर पुलिस और प्रशासन के द्वारा छापे मारे जा रहे हैं हुक्का का प्रयोग करने वालों को गिरफ्तार किया जा रहा है इसका मतलब है कि यह एक बुराई है इसका साथ नहीं देना चाहिए इससे दूर रहना चाहिए
घर का भेद
1. यदि रावण की नाभि का भेद विभीषण, राम को नहीं देते तो राम, रावण को नहीं मार पाते
2. यदि बाली के आधे बल का भेद सुग्रीव, राम को नहीं देते तो राम, बाली को नहीं मार पाते
3. यदि मंत्रा राज तिलक का भेद केकई को ना बताते तो केकई अपने पति से वरदान में राम के लिए बनवास नहीं मांगते और राम 14 वर्ष जंगल में नहीं काटते
इसीलिए कहा गया है कि घर का भेदी लंका ढाए अतः हमें अपने घर का भेद किसी को नहीं देना चाहिए अन्यथा नुकसान ही उठाने पढ़ेंगे
घमंड का फल
विद्वानों का कहना है कि समय परिवर्तनशील है आज यदि कोई अमीर है तो गरीब होने में भी देर नहीं लगती है और यदि कोई गरीब है तो अमीर बनने में भी देर नहीं लगती है इसलिए बड़ी गाड़ी में चलने पर बड़ा घर होने पर अधिक पैसा होने पर कभी घमंड नहीं करना चाहिए और गरीबों का मजाक नहीं बनाना चाहिए जो लोग ऐसा करते हैं कई बार उन्हें पछताना पड़ जाता है
भूकंप के झटके एक सेकंड में बहुमंजिला इमारतों को गिरा देते हैं और उसमें रहने वाले लोग दब जाते हैं तथा मर जाते हो कोविड-19 की महामारी में अच्छे-अच्छे पैसे वालों को धरा शाही कर दिया अनेकों बार ट्रेन एक्सीडेंट हवाई एक्सीडेंट सड़क दुर्घटना हो जाती हैं जिसमें दरबार के परिवार खत्म हो जाते हैं कोई भी धन दौलत को भुगतने वाला नहीं रहता है
अनेकों बार ऐसी विषम परिस्थिति पैदा हो जाती है तब वही गरीब लोग काम आते हैं वही मदद करते हैं अपने सगे संबंधी छोड़कर भाग जाते हैं जब कभी दुख तकलीफ होती है खून की जरूरत होती है उस समय पर अपने लोग खून नहीं देते हैं और घर में झाड़ू पोछा करने वाले गाड़ी साफ करने वाले फैक्ट्री में काम करने वाली लेबर मदद करने के लिए आगे आते हैं और अपने आप को गौरवान्वित समझते हैं इसलिए हमेशा सहज सरल बनकर रहना चाहिए और सभी की यथा योग्य मदद करनी चाहिए तथा यथा योग्य सम्मान भी करना चाहिए परमात्मा कभी भी किसी को अर्श से फर्श पर और फर्श से अर्श पर पहुंचाने में देर नहीं लगाता है किसी भी चीज का कभी घमंड नहीं करना चाहिए घमंडी का सिर हमेशा नीचे रहता है उसे लोग पसंद नहीं करते हैं
दूध का ऋण
हरियाणा में जन्मे बालक के भाग्य में क्या लिखा था यह किसी को पता नहीं था एक बच्चा थोड़ा बड़ा होकर गांव-गांव में कपड़े की फेरी लगाता था और अपनी आजीविका कमाता थ दोपहरी होने पर किसी पेड़ के नीचे छांव में बैठ जाया करता था पास पड़ोस के घर से पानी मांग कर पी लेता था एक महिला दयालु प्रवृत्ति की थी उसने उसे देख लिया और अपने पास बुला कर कहा बेटा यह घर अपना समझो और यहां से ही पानी पी लिया करो और आराम कर लिया करो एक दिन वह अपनी मेहनत लगन और समर्पण भाव के कारण हरियाणा का मुख्यमंत्री बन गया गांव के ही एक चतुर चालाक व्यक्ति ने उस सीधी शादी महिला का फायदा सिफारिश करा कर उठाना चाहता था इसलिए उसने दादी मां से कहा कि मेरा बेटा पढ़ लिखकर ग्रेजुएट हो गया है आपके पास दूध पीने वाला बच्चा मुख्यमंत्री बन गया है वह मेरे बच्चे के दो स्टार लगाकर सब इंस्पेक्टर लगा सकता है इसलिए आप मेरे साथ उनके पास चलो वह बहुत बुजुर्ग हो गई थी चलने फिरने में असमर्थ थी लेकिन फिर भी उसकी मदद करने के लिए तैयार हो गई और भजनू के पास जाकर कहा कि तू बहुत बड़ा आदमी बन गया है और इस काम को कर सकता है इसीलिए यह गांव का सरपंच मुझे तेरे पास लेकर आया है इसके कंधे पर दो फूल लगा दे उसने बिल्कुल भी देरी नहीं की उसकी पूरी आव इज्जत की तथा दो स्टार लगाकर सब इंस्पेक्टर बना दिया यह था दूध का ऋण
मदद का फल
एक बार एक बच्चे के माता पिता बहुत बीमार पड़ गए थे और उसके पास दवाई गोली के पैसे नहीं थे कमाई का कोई जरिया भी नहीं था उसने अनेकों लोगों से उधार पैसे मांगे लेकिन किसी ने मदद नहीं की फिर भी वह अपने माता-पिता को बचाने के लिए दवाई लेने मेडिकल स्टोर पर गया लेकिन कम पैसे होने की वजह से पूरी दवाई मेडिकल स्टोर वाले ने नहीं दी वहीं पर एक दयालु सज्जन पुरुष अपने पिता की दवाई ले रहा था उसने उस बच्चे की दवाई के पैसे मेडिकल स्टोर वाले को दे दिए और दवाई दिलवा दी कुछ और पैसे भी उसे थमा दिए ताकि वह रोटी खा सके लेकिन उसने रोटी नहीं खाई और उन पैसों से उसने थोड़ा सा सामान खरीद कर सड़क पर रखकर बेच दिया उससे कुछ ज्यादा फायदा हो गया उससे सारे पैसे दोबारा व्यापार में लगा दिए और ज्यादा सामान लाकर बेचा मुनाफा बढ़ता चला गया और वह दिन में पढ़ने लगा छुट्टी के बाद काम करने लगा एक दिन वह बड़ा डॉक्टर बन गया बड़े अस्पताल में लग गया वहां पर वही आदमी अपना इलाज कराने के लिए आता है जिस ने बच्चे की मदद की थी वही उसका इलाज करता है और उसे ठीक कर देता है अस्पताल का बिल बनकर कई लाखों में आता है वह घबरा जाते हैं इतना पैसा कहां से लाएंगे और परेशान हो जाते हैं अभी तक किसी को कुछ पता नहीं था लेकिन अब वह डॉक्टर आकर उनको बता देता है और कह देता है कि आपको कोई पैसा नहीं देना है मैंने अदा कर दिया है और आपके जीवन को बचा कर मुझे अत्यंत प्रसन्नता हो रही है क्योंकि आपने मेरे माता-पिता के जीवन को बचाने में मेरी मदद की थी और आपके दिए गए पैसे से मैंने व्यापार किया तथा पढ़ाई-लिखाई करके मैं डॉक्टर बन गया
दंड का परिणाम
एक गरीब असहाय बच्चा बचपन में ही एक बड़े आदमी के यहां पर मजबूरी में नौकरी करने के लिए आता है वह उनके घर का सारा काम करता है लेकिन फिर भी डांट फटकार पड़ती है दो वक्त की रोटी भी नहीं मिलती है बात बत पर
उस बच्चे की पिटाई की जाती है एक दिन वह अपने मालिक के हाथ धुलवा रहा था दो बूंद पानी मालिक के कपड़ों पर गिर गया जिसकी वजह से उसकी बेहद बुरी तरीके से पिटाई की वह अपनी तनख्वाह के पैसे लेकर उनका घर छोड़कर निकल गया और होली पर रंग गुलाल लाकर बेचना शुरू कर दिया सामान बेचने पर 3 गुने पैसे आ गए उन्हीं पैसों से प्लास्टिक के खिलौने लाकर गली-गली बेचना शुरू कर दिया उस से 10 गुना पैसे आ गए इसी प्रकार उसकी उन्नति होती रही और उसने अपनी पढ़ाई शुरू कर दी वह पढ़ लिखकर जज बन गया
एक दिन वह व्यक्ति उसकी कोर्ट में अपने केस के बावजूद आया वह डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में अपना केस हार चुका था और अब बहुत परेशान था पता नहीं क्या होगा उसके बदले उसने कई वकीलों को भारी-भरकम रकम भी दे रखी थी तथा जज की खरीद-फरोख्त के लिए भी कह रखा था सौभाग्य से उसका केस उसी जज की कोर्ट में लग जाता है जिसकी पिटाई निर्मम तरीके से की थी और वह जज उस व्यक्ति को पहचान लेता है लेकिन वह व्यक्ति उसे नहीं पहचान पाया वकील उसे डराते हैं कि यह जज बहुत इमानदार है इसमें खरीद-फरोख्त नहीं हो सकती है शायद इसमें आपकी हम कोई मदद भी ना कर पाएंगे इसलिए वह हिम्मत हार जाता है
जज साहब उसके कार्यों को ना देख कर अपनी दयालुता दिखाते हैं और उसके फेवर में फैसला कर देते हैं अब उसे सब कुछ पता चल चुका था अब उसने उस जज साहब के पैर पकड़ लिए और अपनी गलती के लिए माफी मांगी इसलिए कभी भी किसी के साथ गलत नहीं करना चाहिए पता नहीं कब कौन क्या बन जाए किसी के द्वारा दिया गया दंड भी किसी को महान व्यक्ति बना सकता है
मिट्टी की कहानी
एक दिन कुम्हार बर्तन बनाने के लिए जंगल से मिट्टी की खुदाई करके लाता है फिर सुखा कर कुटाई पिटाई करता है फिर छानकर पानी मिलाकर बर्तन बनाने योग्य तैयार करता है ताकि मिट्टी के बर्तन बनाकर बाजार में बेचे जा सके और अधिक धनराशि प्राप्त की जा सके लेकिन मिट्टी कहती है कि आज तेरी बारी है एक दिन मेरी बारी आएगी जिस दिन तू मुझ में ही समाहित हो जाएगा कोई तुझे बचाने के लिए नहीं आएगा
अंतिम इच्छा
एक बार एक गरीब बच्चा स्कूल में पढ़ने के लिए जाता है किसी बच्चे की कलम व पेंसिल उठाकर अपने घर ले आता है लाकर अपनी मम्मी को देता है लेकिन मम्मी उसे चोरी ना करने की सीख नहीं देती हैं इसलिए अगले दिन वह किसी की किताब चुरा कर ले जाता है फिर कुछ दिन के बाद कोई और चीज चुरा कर लेआता है धीमे-धीमे उसे चोरी करने की आदत पड़ जाती है बड़े होने पर जब वह कोई बड़ी चोरी कर के घर लाता है तब उसे पुलिस पकड़ लेती है और पुलिस उसे जज के सामने पेश कर देती है जज साहब उसे फांसी की सजा सुना देते हैं तब उनसे अंतिम इच्छा के बारे में पूछा जाता है तब वह अपनी मां से मिलने की इच्छा जाहिर करता है तब उसकी मां को बुलवाया जाता है वह अपनी मां से कहता है कि मुझे आपके कान में कुछ कहना है मां उसकी तरफ अपना काम कर देती है वह कान को काट लेता है तब जल्लाद उस पर चिल्लाकर पढ़ते हैं अधर्मी यह तुमने क्या किया तब वह चोर कहता है कि आज फांसी की सजा मुझे इसी मां की बदौलत हो रही है यदि इसने मुझे पहले दिन ही चोरी ना करने की सीख दी होती तो मैं इतना बड़ा चोर नहीं बनता और आज मुझे फांसी की सजा नहीं मिलती
मछली और जल
पहले कहा जाता था कि मछली जल की रानी है जीवन उसका पानी है हाथ लगाओगे डर जाएगी बाहर निकालो के मर जाएगी
लेकिन अब इसका उलट हो गया है अब जल प्रदूषित होने के कारण जीव जंतु जल में ही मर रहे हैं उनका जीवन वहां सुरक्षित नहीं है हम केमिकल युक्त पानी नदियों तालाबों पोखर तथा जमीन में डाल रहे हैं जिसकी वजह से जमीन के अंदर का पानी भी प्रदूषित हो चुका है और अधिकतर नदी नाले पोखर जीव जंतुओं के काबिल नहीं रहे हैं आजकल मछलियां पानी में ही अपना जीवन त्याग रही है इसके लिए हम सभी को जल प्रदूषण पर कार्य करना होगा
मोर की शिकायत
एक दिन रिमझिम बारिश हो रही थी मोर बारिश का आनंद लेने के लिए अपने पंख फैला कर नाचने लगा उसे अपनी अद्भुत सुंदरता का एहसास हो रहा था लेकिन अचानक उसके बोलने की आवाज आई तब उसे एहसास हुआ कि मेरी बोली बहुत कठोर है ऐसी सुंदरता का क्या फायदा जिसमें मीठी बोली ना हो और यह शिकायत भगवान से करने लगा तब भगवान ने भविष्यवाणी की कि इस पृथ्वी पर हर किसी जीव को कोई ना कोई एक अद्भुत गुण दिया हुआ है एक जीव के पास सभी गुणों का होना संभव नहीं है इसलिए परेशान मत हो जो दिया गया है उसी में खुशी महसूस करो
कौवा और कोयल से सीख
एक दिन कौवा और कोयल एक मकान की मुंडेर पर बैठे हुए बोलने लगे कौवा ने कांव-कांव की जैसे ही आवाज निकाली घर की मालकिन ने अपने बच्चे से कहा कि इसको पत्थर मारकर उड़ा दो यह मनहूस सुबह-सुबह कहां से आ गया लेकिन जब कोयल ने कुकू की आवाज निकाली तब उसे पत्थर मारकर उड़ाने के लिए नहीं कहा तब बच्चे ने अपनी माताजी से पूछा कि दोनों का रंग काला है दोनों एक जैसे पक्षी हैं फिर आपने एक को पत्थर मार कर उड़ाने के लिए कहा और दूसरे को नहीं क्यों क्यों तब माताजी ने अपने बच्चे को समझाते हुए कहा कि बेटा कोयल अत्यंत मीठा बोलती है इससे मन हर्षित हो जाता है कानों को अच्छा लगता है इसीलिए आपको भी मीठा बोलना चाहिए ताकि अन्य लोग आपकी वाणी को सुनकर मंत्रमुग्ध हो जाएं और आपका सम्मान बढ़ जाए
कछुआ और खरगोश
एक बार कछुआ और खरगोश मैं जीतने की शर्त लग गई खरगोश को अपने ऊपर घमंड था क्योंकि वह अत्यंत तेज दौड़ता था लेकिन कछुआ भी कम नहीं था उसे अपने बुद्धि और विवेक पर भरोसा था इसलिए उसने शर्त को मंजूर कर लिया जब दोनों की दौड़ शुरू हो गई तो कुछ दूरी के बाद खरगोश ने सोचा की कछुआ तो बहुत पीछे है मैं कुछ देर आराम कर लेता हूं इतनी ही देर में कछुआ आगे निकल गया और अपनी मंजिल पर पहुंच गया जब खरगोश की नींद खुली तब उसने दौड़ लगाई देखा कछुआ वहां पहले से मौजूद था और अपने आलस्य तथा ओवरकॉन्फिडेंस पर पछतावा करने लगा
इस कहानी से शिक्षा मिलती है कि हमें ओवरकन्फिडेंस मे नहीं रहना चाहिए और आलस भी नहीं करना चाहिए लगातार ईमानदारी से समर्पण भाव के साथ जो कार्य करते हैं उन्हें एक दिन मंजिल मिल ही जाती है जैसे कछुआ ने खरगोश को हरा दिया
नजर और नजारे
एक बार दो व्यापारी अपना व्यापार करने के लिए जगह की तलाश में निकल गए कुछ दूरी के बाद उन्होंने देखा कि किसी के पैर में चप्पल और जूते नहीं थे तब पहले व्यापारी सोचा कि यहां के लोग तो इतने गरीब है कि उनके पास चप्पल जूते खरीदने के लिए पैसे ही नहीं है इसलिए वह नंगे पैर ही घूम रहे इसलिए वह आगे निकल गया दूसरे व्यापारी ने सोचा कि यहां पर मेरा व्यापार अच्छा चल जाएगा क्योंकि अभी किसी के पास जूते और चप्पल पहनने के लिए नहीं है मुझे अति शीघ्र यहां पर जूते चप्पल बनाने का कार्य शुरू कर देना चाहिए और इसी सोच के साथ उसने जूते चप्पल बनाकर बेचना शुरू कर दिया कुछ ही दिनों के बाद वह मालामाल हो गए अच्छा घर मकान दुकान बना लिया अच्छी गाड़ी ले ली कुछ समय के बाद में पहला व्यापारी उसी रास्ते से गुजर रहा था उसने बड़ी फैक्ट्री देखकर अपनी गलती का एहसास किया
आलस्य का फल
किसी भी कार्य को करने में जो आलस्य करते हैं आज का काम कल के ऊपर डालते हैं या बहाने लगाते हैं वह कभी सफल नहीं होते हैं एक बार एक व्यक्ति बहुत मेहनती था उसने अपनी कमाई से कई मकान और दुकान बना लिए थे लेकिन उसका बच्चा आलसी था बीड़ी सिगरेट और शराब का सेवन करने वाला था जिसके कारण देर रात तक बाहर रहता था और दिन में सोता था किसी के कहने का कोई असर नहीं होता था एक दिन उस सफल और मेहनती व्यक्ति की मौत हो जाती है और उसके बाद उसका बेटा उस घर मकान दुकान को बेचकर अपने शौक पूरा करने लग जाता है एक दिन ऐसा आता है की उसके पास सिर छुपाने के लिए जगह नहीं रहती है रोटी खाने के लिए नसीब नहीं होती हैं बच्चों की हारी बीमारी के लिए पैसा नहीं रहता है और वह कर्जदार हो जाता है उक्त कहानी से सीख मिलती है की हमें कभी आलस्य नहीं करना चाहिए तथा दिनचर्या ठीक रखनी चाहिए और नशे का आदी नहीं होना चाहिए
लक्ष्य प्राप्ति
कोई भी विद्यार्थी अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकता है दुनिया भर में अनेकों विद्यार्थी शिक्षा ग्रहण कर रहे होते हैं लेकिन कुछ विद्यार्थी 100 में से 100 अंक लाते हैं कहने का भाव यह है कि वह कक्षा में ध्यान पूर्वक पढ़ाई करते हैं और घर पर आकर उसकी पुनरावृत्ति करते हैं तथा लिखकर उसका अभ्यास करते हैं जो चीज समझ में नहीं आती है उसका समाधान अपने अध्यापकों से करते हैं किसी से लड़ाई झगड़ा नहीं करते हैं समय पर स्कूल पहुंचते हैं समय पर घर आते हैं अपनी किताबों को अपना मित्र समझते हैं अपना समय बेकार की बातों में बर्बाद नहीं करते हैं अपनी दिनचर्या को ठीक रखते हैं स्वास्थ्यवर्धक भोजन खाते हैं गलत संगति से दूर रहते हैं टेलीविजन नहीं देखते हैं मोबाइल के अधिक शौकीन नहीं होते हैं माता-पिता की बातों में अधिक रस नहीं लेते हैं अपने काम से काम रखते हैं सभी का यथा योग्य सम्मान करते हैं अपने लक्ष्य को हमेशा अपनी आंखों के सामने रखते हैं लक्ष्य प्राप्ति के लिए लगातार सार्थक प्रयास करते रहते हैं समय प्रबंधन पर कार्य करते हैं निराशावादी लोगों से दूर रहते हैं समय के महत्व को समझते हैं किसी के साथ भेदभाव नहीं करते हैं सबके साथ अच्छा व्यवहार करते हैं सबसे मीठा बोलते हैं बाहरी आडंबर और पाखंड में नहीं पड़ते हैं
ज्योतिष का खेल
जब बच्चे का जन्म होता है तब अधिकतर लोग अपने घर पर पंडितों को बुलाकर ग्रह नक्षत्र दिखाते हैं उसकी जन्मपत्री बनवाते हैं और वह पंडित निर्धारित कर देता है कि उस वर्ष में उस महीने में यह बीमार पड़ेगा इसका एक्सीडेंट होगा लेकिन मौत के बारे में नहीं बताते हैं आप सभी जानते हैं कि रामायण में मर्यादा पुरुषोत्तम राम का नाम आता है और उनकी जन्मपत्री में राज्य अभिषेक होता है लेकिन राज्य अभिषेक ना होकर बनअभिषेक हो जाता है तब उनके गुरु जी अपनी कलम तोड़ देते हैं और पछतावा करते हैं इसलिए ज्यादा ज्योतिषियों पर विश्वास नहीं करना चाहिए सही समय पर सही कार्य करने चाहिए सही भाषा का प्रयोग करना चाहिए सभी का यथा योग्य सम्मान करना चाहिए क्या भाग्य में लिखा है क्या नहीं लिखा है इसे कोई नहीं जानता है बुद्धि और विवेक से काम लेना चाहिए अन्यथा एक ब्राह्मण के बाद दूसरे और दूसरे के बाद तीसरे के पास जाते ही रहोगे लेकिन समस्या का समाधान नहीं होगा और लूटपाट होती रहेगी
कर्म का खेल
एक व्यक्ति के चार बच्चे थे उन्होंने अनेकों ज्योतिषियों को घर पर बुलाया और पूछा कि इनमें से कौन सा बच्चा हमारे बाद घर का राज पाठ संभालेगा किसी ज्योतिषी ने कहा ए संभालेगा किसी ने कहा बी संभालेगा किसी ने कहा कि सी संभालेगा लेकिन डी के बारे में सभी की राय गलत थी लेकिन जैसे ही डी ने सुना उसने अपने कर्मों में सुधार कर लिया उसने झूठ बोलना चोरी करना नशा करना छोड़ दिया बहन बेटियों की आबरू से खेलना बंद कर दिया जुआ खेलना धोखा देना निंदा करना चुगली करना बंद कर दिया सारे बुरे कार्यों से इस्तीफा दे दिया और हर दिन एक अच्छा कार्य करने लगा अपने भोजन में से गाय और कुत्ता को खिलाना शुरू कर दिया निर्वस्त्र को वस्त्र देने शुरू कर दिए चीटियों और मछलियों को दाना खिलाना शुरू कर दिया जीव जंतुओं को पानी पिलाना शुरू कर दिया दिव्यांगों को सड़क पार कराना शुरू कर दिया लोगों की छोटी-छोटी समस्याओं को सुनना और साथ ही साथ उनका समाधान करना शुरू कर दिया सभी को यथा योग्य सभी का सम्मान देने लगे जिन एबीसी के बारे में अन्य तांत्रिकों ने राजा बनने की घोषणा की थी वह अपनी प्रकृति से गिर गए और दुराचार व्याधिचार अनादिचार पापाचार अत्याचार करने लगे जिसकी वजह से उनको जेल जाना पड़ा पुलिस की पिटाई खानी पड़ी सामाजिक लोगों से जलील होना पड़ा समाज के लोगों ने उन्हें बहिष्कृत और तिरस्कृत कर दिया अंत में डी राजा बन गया उक्त कहानी से आपकी समझ में आ गया होगा की तांत्रिकों मौलवियों पंडितों के कहने से सब कुछ नहीं होता है आपके कर्म कि आपको सम्मान और अपमान दिलाते हैं जैसा कर्म आप करते हो वैसा ही फल आपको मिलता है आप किसी की इज्जत करते हो तो दूसरा भी आपकी इज्जत करता है आप किसी को सम्मान देते हो तो दूसरा भी आपको सम्मान देता है आप किसी को प्यार करते हो दूसरा भी आपको प्यार करता है आप किसी की मदद करते हो दूसरा भी आपकी मदद करता है इसलिए भ्रम में ना रहें और प्रतिदिन अच्छे कर्म करके अपना जीवन सार्थक बनाएं विद्यार्थियों को अपने मित्रों की पढ़ाई लिखाई में मदद करनी चाहिए जिसके पास कॉपी किताब नहीं है उसको कॉपी किताब देकर मदद करनी चाहिए जिसके पास पेन पेंसिल रबड़ इत्यादि नहीं है और आपके पास फालतू है तो दे देना चाहिए आपके पास भोजन है और किसी साथी के पास भोजन नहीं है तो अपना भोजन उसके साथ शेयर करना चाहिए ऐसा करने से आपसी प्यार बढ़ता है ऊंच-नीच का खेल नहीं खेलना चाहिए
गुरु और शिष्य
एक बार वहमाता किस्मत लिखने के लिए जा रही थी तब गुरुजी ने सिफारिश की कि यह मेरा शिष्य है इसके बच्चे की किस्मत ठीक से लिख देना लेकिन जब वह किस्मत लिखकर लौटी तब गुरुजी ने पूछा बहन जी आपने क्या लिखा है तब उसने कहा कि गलती हो गई मैं भूल गई कि आपने मुझसे कुछ कहा था और मैंने लिख दिया कि काटेगा और गुजर बसर करेगा चाहे वह लकड़ी काटे या जीव जतु
तब गुरु जी ने उनका धन्यवाद किया और कहा कोई बात नहीं है वह बच्चा बड़ा होता है जंगल से लकड़ी काटता है बाजार में भेजता है अपने बच्चों की परवरिश करता है तब गुरुजी ने कहा बेटा
आपकी किस्मत में ही यह लिखा है कि आप काटोगे और अपनी आजीविका कमाओगे इसलिए मेरा निवेदन है कि आप चंदन का पेड़ काट कर लाओ उसे बाजार में बेच दो उससे आपकी गरीबी दूर हो जाएगी
तब उस बच्चे ने कहा मुझे चंदन के पेड़ का पता नहीं है तब गुरु जी ने अनेकों दिन तक जंगल का भ्रमण किया और चंदन के वृक्ष की जांच पड़ताल करके उस बच्चे को बता दिया कि उस दिशा में इतनी दूरी पर एक पेड़ है उसे काट कर ले आओ वह बच्चा उसे काट कर ले आया और बाजार में बेच दिया और मालामाल हो गया
गुरु और शिष्य दूसरा भाग
एक बार बड़े घर का एक बच्चा पढ़ने के लिए विद्यालय आया करता था पढ़ने में बहुत कमजोर था बहुत कोशिश करने के बाद भी वह 10वीं परीक्षा पास नहीं कर पाया क्योंकि उसे पता था मेरे पिता के पास बहुत अपार संपत्ति है और अच्छे पद पर मेरे पिताजी आसीन हैं शहर में उनकी बहुत इज्जत है इसलिए मैं पढ़ाई नहीं करूंगा तो भी चलेगा
एक दिन अचानक हृदयाघात से पिताजी की मृत्यु हो जाती है और माताजी को कैंसर हो जाता है जमा पूंजी खर्च हो जाती है घर बिक जाते हैं अब बच्चा सोचने और समझने पर मजबूर हो जाता है उसी दौरान गुरु जी आते हैं और मार्गदर्शन करते हैं
जो बंजर भूमि बची हुई थी उसी की निराई गुड़ाई करते हैं जमीन में बीजारोपण करते हैं उत्तम तरीके से फसल की देखभाल करते हैं और परिणाम स्वरूप अच्छी फसल काटकर बाजार में अच्छे मूल्य पर बेचते हैं जब वह लगातार मेहनत करने लगता है तब फिर से वह मालामाल हो जाता है अच्छे घर मकान दुकान बना लेता है अच्छी गाड़ी ले लेता है और गुरु जी का धन्यवाद कर देता है तथा गुरु जी को अपना आदर्श मानते हुए पूजा करता है और उनका गुणगान करता है
जंत्र -मंत्र का खेल
एक बार एक व्यक्ति को अपने खेत में पानी का ट्यूबवेल लगवाना था इसलिए वह पंडितों के पास गया पंडितों ने उसे भ्रमित कर दिया कि तुम्हारे खेत में मीठा पानी नहीं है यदि आप पूजा पाठ कर आते हो तो उस कोने में बोर करने पर मीठा पानी आ जाएगा उसने पंडित जी से पूजा-पाठ कराई मुंह मांगी दक्षिणा दी लेकिन फिर भी बोर करने के बाद पानी नहीं आया बाद में वह परेशान होकर किसी मौलवी के पास गए उन्होंने कुछ ताबीज बनाकर दे दिया और दिशा का बोध करा कर तबीज को दबाने के लिए कह दिया लेकिन फिर भी पानी नहीं आया वह व्यक्ति तांत्रिकों के पास गया तांत्रिकों ने आकर वहां पर तंत्र विद्या का प्रयोग किया लेकिन फिर भी पानी नहीं आया वह बहुत दुखी हो चुका था और बहुत लूट पिट चुका था एक दिन वहां से बड़ी उम्र के सफेद पोशाक वाले अनुभवी सज्जन पुरुष गुजर रहे थे उन्होंने उस व्यक्ति को रोते बिलखते देखकर पूछा बेटा क्यों रो रहे हो उन्होंने कहा कि मेरी फसल सूख रही है इसके लिए पानी नहीं मिल पा रहा है मैंने कई जगह बोर कर के देख लिया है लेकिन पानी नहीं आया है उस व्यक्ति ने कहा बेटा ज्यादा परेशान होने की जरूरत नहीं है जमीन में आप कहीं पर भी बोर कर लीजिए जब तक पानी नहीं आता है तब तक उसकी खुदाई करते रहिए उसने ऐसा ही किया और एक ही जगह पर पानी आ गया कहने का भाव यह है की जमीन में हर जगह पानी है कहीं 50 फुट पर है तो कहीं 100 फुट पर कहीं ज्यादा खुदाई करनी पड़ती है लेकिन नदियों के किनारे ऊपर ही पानी आ जाता है इसमें नीम हकीम पंडित और मौलवी से मुहूर्त निकलवाना या राय लेना बेवकूफी है
बेवजह शक्ति प्रदर्शन
अनेकों बार आपने देखा होगा कि कुछ लोग बेवजह गर्जना और बरसना शुरू कर देते हैं और दूसरे की बेइज्जती व अपमान करके अपने आप को बड़ा समझते हैं किसी को गाली देने से या थप्पड़ मारने से कोई बड़ा नहीं हो जाता है इसलिए बेवजह शक्ति का प्रदर्शन नहीं करना चाहिए हमेशा सामने वाले व्यक्ति की भावनाओं को समझकर व्यवहार करना चाहिए खुद को बड़ा साबित करने से कुछ हासिल नहीं होता है यह बात इस उदाहरण से आपको समझ आ जाएगी आप बाजार में जाते हैं दुकानदार आपको कुछ सामान देता है आप उस सामान को नहीं लेते हैं तो वह सामान किसके पास रह जाता है आप यही कहेंगे कि दुकानदार के पास ही ठीक इसी प्रकार से यदि कोई व्यक्ति अपमान सूचक जातिसूचक अमर्यादित शब्दों का प्रयोग करके आप को जलील करना चाहता है और आप उसे नहीं लेते हैं आप अपने रास्ते चले जाते हैं या आप अपना कार्य करते रहते हैं आप एक कान से सुनते हैं और दूसरे से निकाल देते हैं तो इससे वह सब कुछ उसी के पास रह जाता है जिसका परिणाम उसे भुगतना ही पड़ता है फिर वह उन बातों को सोच कर परेशान होता है अपने आपको वह प्रताड़ित करता है और कई बार अपने आप को माफ नहीं कर पाता इसीलिए आपको संयमित जीवन जीना चाहिए किसी की चुगली और निंदा नहीं करनी चाहिए व्यवहार कुशल होना चाहिए किसी का अनायास अपमान नहीं करना चाहिए बुद्धि और विवेक से काम लेना चाहिए सम्मान देने से हमेशा सम्मान मिलता है
बुरी संगत का असर
एक बार एक व्यक्ति ने बहुत खूबसूरत और सुंदर पल टोकरी में रख दिया लेकिन किसी बच्चे ने गला सड़ा अन्य फल उस टोकरी में रख दिया अगले दिन देखता कि अच्छे फल भी सड़ रहे हैं इससे समझ में आता है कि एक अच्छा व्यक्ति यदि बुरी संगति में पड़ जाता है तो उसमें भी बुराइयां व्याप्त हो जाती हैं यदि वह लोग नशा करने वाले हैं तो अच्छा व्यक्ति भी नशा करना शुरू कर देता है यदि वह चोरी करने वाले हैं तो अच्छा व्यक्ति भी चोरी करना सीख जाता है यदि पास पड़ोस में लोग सुबह से शाम तक गाली ही देते रहते हैं तो छोटे बच्चे भी गाली देना सीख जाते हैं यदि घर में माता पिता आपस में लड़ते झगड़ते रहते हैं असभ्य और अश्लील शब्दों का प्रयोग करते रहते हैं तो नन्हे मुन्ने बच्चे भी लड़ाई झगड़ा करने लगते हैं और स्तब्ध और अश्लील शब्दों का प्रयोग करने लगते हैं उन्हें कोई सिखाता नहीं है लेकिन वह माहौल से सीख जाते हैं कहने का भाव है कि बुराई और अच्छाई दोनों का परिणाम हर जगह देखने को मिल जाता है यदि बुरा व्यक्ति साधु संगत में चला जाता है तो थोड़ी देर के लिए उसके विचार भी बदल जाते हैं यदि ऐसा ही माहौल उसको मिलता रहे तो एक दिन वह बुराइयों को त्याग देता है
सही मार्गदर्शन
मनुष्य की जिंदगी में सुख दुख तो आते ही रहते हैं लेकिन दुख में अधिक दुखी और सुख में अधिक सुखी नहीं होना चाहिए अधिकतर अंक लाने के लिए छात्रों में होड़ लगी रहती है जिसकी वजह से अधिकतम विद्यार्थी तनाव में आ जाते हैं कई बार अत्यधिक पढ़ाई के बाद भी अच्छे अंक नहीं ला पाते हैं जिसके कारण उन्हें डांट फटकार खानी पड़ती है और कई बार तो मारपीट भी झेलनी पड़ जाती है ऐसी स्थिति में विद्यार्थी पढ़ाई छोड़ देते हैं कई बार तो कुछ विद्यार्थी घर ही छोड़ कर चले जाते हैं जब कई दिनों तक भूखा प्यासा रहना पड़ता है ऐसी स्थिति में गलत लोगों से समझौता कर लेते हैं और गलत रास्ते को अपना लेते हैं अब उनके पास कुछ नहीं बचता है चाहकर भी वह अच्छे इंसान नहीं बन पाते हैं कई बार देखा गया है कि जिन बच्चों का मन पढ़ाई में नहीं लगता है वह खेलकूद व संगीत में अच्छे होते हैं लेकिन उनको सही मार्गदर्शन की जरूरत होती है सही मार्गदर्शन से उनके अंदर के सुसप्त शेर को जगाया जा सकता है उनकी प्रतिभा का लोहा मनवाया जा सकता है सही मार्गदर्शन से वह बेहतर प्रदर्शन कर सकते हैं प्रेरक भाषणों से विद्यार्थियों का जज्बा बढ़ता है और कुछ हासिल करने की भावना का विकास होता है इसलिए समय-समय पर विषय विशेषज्ञों तथा काउंसलरों से मार्गदर्शन लेते रहना चाहिए क्या उचित है या अनुचित है क्या करना चाहिए क्या नहीं करना चाहिए सही बातों की जानकारी लेकर उनको आत्मसात करके अच्छा जीवन जीया जा सकता है हिम्मत हारने की स्थिति में और निराशा हाथ लगने की स्थिति में सफल व्यक्ति से मार्गदर्शन ले लेना चाहिए या प्रेरक कहानियां पढ़ लेनी चाहिए और प्रेरक वीडियो सुन लेनी चाहिए
आइदर और का चक्कर
अधिकतर विद्यार्थियों को पता नहीं होता है और वह 12वीं करने के बाद नीट इंजीनियरिंग एसएससी कैट मैच सेलेक्ट एचटेट सी टेट एसएससी पुलिस रेलवे एनडीए सीडीएस आदि की तैयारी करने के लिए कोचिंग सेंटर ज्वाइन कर लेते हैं जहां पर दो ₹3 लाख हर साल का भरते रहते हैं और दो-तीन साल तक भी जब वह क्वालीफाई नहीं कर पाते हैं तब तनाव में आ जाते हैं जब तक काफी पैसा बर्बाद हो जाता है और काफी समय निकल जाता है इसलिए अनावश्यक चीजों में ध्यान नहीं देना चाहिए अपने मन की रुचि के आधार पर फैसला लेना चाहिए यदि पढ़ाई लिखाई में मन नहीं लगता है तो माता-पिता के पैसे को बर्बाद नहीं करवाना चाहिए जो बच्चे माता पिता के लिए कोचिंग सेंटर ज्वाइन कर लेते हैं और वहां पर मौज मस्ती करते रहते हैं मोबाइल में गेम खेलते रहते हैं दोस्ती निभाते रहते हैं पार्कों में मटरगश्ती करते रहते हैं होटलों पर जन्मदिन मना कर समय बर्बाद करते रहते हैं ऐसे विद्यार्थियों का जीवन बिगड़ जाता है और माता-पिता की डांट फटकार भी सहन करनी पढ़ जाती है कई बार ऐसी स्थिति में बच्चे उग्रवादी भी बन जाते हैं डॉ एमपी सिंह का कहना है कि लाखों लोग यूपीएससी एचपीएससी सीडीएस एनडीए आदि की परीक्षा देते हैं लेकिन 90 फीसदी बच्चे असफल हो जाते हैं जो विद्यार्थी क्वालीफाई करते हैं वह समाज से कटऑफ होकर करते हैं उनका लक्ष्य होता है वह लक्ष्य प्राप्ति के लिए दिन रात एक कर देते हैं भूख प्यास और नींद को त्याग देते हैं उन्हें खाने-पीने या खेलने कूदने में कोई रुचि नहीं होती है सामाजिक रिश्तो को निभाने की भी कोशिश नहीं करते हैं उन्हें जनून होता है कि मुझे आईएएस आईपीएस आईआरएस आईएफएस पीसीएस बनना है और वह बनकर रहते हैं लेकिन 90 फ़ीसदी लोगों के पास कोई ऑप्शन नहीं रहता है क्योंकि असफल होने के बाद भी वह कहीं नौकरी नहीं कर पाते हैं
डॉ एमपी सिंह का कहना है कि मध्यम वर्ग के लोगों को अपने माता-पिता की हैसियत और फाइनेंस को देखकर प्लानिंग करनी चाहिए तथा समय के साथ अपडेट रहना चाहिए नौकरी करना ही जरूरी नहीं होता है अपने छोटे छोटे व्यापार करके भी बड़ा आदमी बना जा सकता है इसलिए अपने अंदर की प्रतिभा को पहचान कर स्वरोजगार स्थापित करके इतिहास बनाना चाहिए
डॉ एमपी सिंह ने नौकरी और व्यापार दोनों के अंतर को समझाने की कोशिश की है जो बच्चे नौकरी करने के लिए तैयारी करते हैं वह अस्सी नब्बे लाख रूपए अपनी पढ़ाई तथा कोचिंग पर खर्च कर देते हैं लेकिन कोई भी छोटा व्यापार 10 -5 लाख से ही शुरू हो जाता है और छोटी उम्र में ही मकान दुकान बना लेते हैं लेकिन नौकरी प्राप्ति के बाद जो लोन लिया है उसकी भरपाई करने में 10- 20 साल निकल जाते हैं जिसके लिए वह गलत तरीकों को हथिया लेते हैं जिसके कारण कई बार उन्हें विजिलेंस गिरफ्तार भी कर लेती है और सारी जमा पूंजी बर्बाद हो जाती है इसलिए निर्णय ऐसा लेना चाहिए जिससे जीवन ठीक प्रकार से चलता रहे और किसी का कर्ज भी ना हो हमारा परिवार भी खुश रहे और परिवार के अन्य सदस्यों की मदद भी करते रहनी चाहिए आइदर और के चक्कर में कभी नहीं पडना चाहिए यह कर लेता तो ऐसा हो जाता यह नहीं किया तो ऐसा हो गया इसके बारे में ज्यादा नहीं सोचना चाहिए समय को कभी बर्बाद नहीं करना चाहिए क्योंकि समय कभी वापस लौट करके नहीं आता है सही समय पर सही लिए गए फैसले आपको सफलता की तरफ ले जाते हैं लेकिन गलत फैसले आपको बर्बाद कर देते है
दृढ़ विश्वास और संकल्प
एक बार एक बच्ची की छोटी उम्र में ही शादी कर दी जाती है उससे ग्रस्त जीवन के बारे में कुछ भी पता नहीं होता है अभी उसकी खेलने कूदने पढ़ने-लिखने की उम्र होती है लेकिन उसको घर का कामकाज करना पड़ता है कपड़े धोने पड़ते हैं सास ससुर देवर जेठ जेठानी नंद की इज्जत व सेवा करनी होती है पति के सारे काम देखने होते हैं बचपन में स्वाभाविक रूप से गलती हो ही जाती हैं जिसकी वजह से सभी लोगों की डांट खानी होती है मारपीट को भी सहन करना होता है बहुत परेशान हो जाती है अपने माता-पिता से अपने मन की बात एक बार कह देती है माता पिता उसकी मदद नहीं कर पाते हैं और उनका देहावसान हो जाता है उन के मरने के बाद ससुराल पक्ष के लोग और उसका शोषण करना शुरू कर देते हैं वह कपड़े सिलना सीख लेती है और कपड़े सिल कर अपनी आजीविका कमाना शुरू कर देती है लेकिन वह भी उनको रास नहीं आता है और उस को घर से बाहर निकाल देते हैं वह कोर्ट कचहरी नहीं जाती है वह पुलिस के पास भी शिकायत नहीं करती है और अपने पैरों पर खड़े होने की कोशिश करती है किसी टेलर मास्टर के यहां पर काम मांगने जाती है वह उसकी प्रतिभा को देखकर काम दे देते हैं और वह मेहनत लगन और समर्पण भाव के साथ काम करती हैं जिसकी वजह से अच्छी तनख्वाह मिलने लग जाती है वह उसी शहर में मकान किराए पर ले लेती है अनेकों लोग दोस्ती का हाथ बढ़ाते हैं लेकिन वह किसी को अपना हाथ नहीं पकड़ आती है वह दिन-रात अपने लक्ष्य प्राप्ति के लिए लगी रहती है ड्यूटी के बाद वह ट्यूशन पढ़ना शुरू कर देती है प्राइवेट परीक्षा देती है 10वीं 12वीं कर लेती है फिर सरकारी नौकरी की इच्छा जागृत होती है इसलिए एसएससी की परीक्षा भी पास कर लेती है सरकारी विभाग में डिप्टी सुप्रिडेंट तक पहुंच जाती है उसके बाद नायब तहसीलदार लग जाती है अब उसका अपना बढ़िया घर होता है बढ़िया गाड़ी होती है नौकर भी उसके पास काम कर रहे होते हैं अब ससुराल पक्ष के लोग किसी काम के लिए उसके ऑफिस में आते हैं लेकिन उसे पता नहीं होता है उसके नीचे पटवारी कानूनगो आदि लोग उस काम को रोक देते हैं वह बहुत परेशान होते हैं जब व सीनियर अधिकारी के पास जाते हैं तब उस कुर्सी पर उन्हीं की पुत्र बध बैठी होती है देखकर प्रसन्नता होती है और अपनी गलतियों का पछतावा भी करते हैं बहुत निवेदन करते हैं घर लाने का लेकिन वह इंकार कर देते हैं और उनकी इज्जत करते हुए उनका कार्य कर देते हैं अब तो इस कहानी को आप समझ ही गए होंगे किस का क्या भाव है कैसे इंसान महान बनता है उसे अपने ऊपर विश्वास था भरोसा था कि मैं कुछ कर सकती हूं मैं कुछ बन सकती हूं इसलिए उसने सकारात्मक सोच पर निर्णय ले लिया और नकारात्मकता में ना जाकर अपने कैरियर का निर्माण कर लिया हमें किसी से उलझना नहीं चाहिए हमें अपने समय को अनायास किसी को नहीं देना चाहिए सफलता अवश्य एक दिन आपके कदमों को चूमेगी
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